नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने शुक्रवार को अपने एक अहम आदेश में एकनाथ शिंदे गुट को “शिवसेना” के नाम के साथ पार्टी का प्रतीक “धनुष और तीर” देने का फैसला लिया है. यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के मामले में बड़े बेंच की सुनवाई की उद्वव गुट की याचिका को खारिज करने के बाद आया है.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, चुनाव आयोग ने पाया कि शिवसेना का वर्तमान संविधान अलोकतांत्रिक है. इसे बिना किसी चुनाव के पदाधिकारियों के तौर पर अपनी मंडली के लोगों को चुनने के लिहाज से बनाया गया है. इस तरह की पार्टी संरचना विश्वास पैदा करने में विफल रहती है.

चुनाव आयोग ने पाया कि 2018 में संशोधित शिवसेना का संविधान उसे (चुनाव आयोग) दिया ही नहीं गया है. इन संशोधनों के जरिए आयोग के आग्रह पर दिवंगत बालासाहेब ठाकरे द्वारा 1999 में पार्टी संविधान में किए गए लोकतांत्रिक मानदंडों को पहले की ही स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया गया है.

बाबा साहेब के विचारों की जीत – शिंदे

चुनाव आयोग के फैसले को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बालासाहेब ठाकरे के विचारों की जीत करार दिया है. वहीं दूसरी ओर उद्वव ठाकरे गुट के नेता संजय राउत ने कहा कि हमें चिंता करने की जरूरत नहीं है. जनता हमारे साथ है. हम जनता की अदालत में नए निशाना के जाएंगे और इस शिव सेना को खड़ा करेंगे.

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