टोक्यो। जापान के उच्च सदन (हाउस ऑफ काउंसलर) के 248 सीटों के लिए आज चुनाव हो रहा है. इस चुनाव के लिए ही प्रचार करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की नारो शहर में आयोजित एक रैली में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. शिंजो आबे की मौत की छाया के बीच सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) सदन में अपना बहुमत बनाए रखना चाहेगी.
चुनाव प्रचार के दौरान सत्ताधारी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी और विपक्षी दलों ने मुद्रास्फीति संबंधी चिंताओं और तर्कों सहित रक्षा संबंधी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया था. लगभग नौ महीने पहले पदभार ग्रहण करने के बाद से अपनी सरकार के प्रदर्शन में मतदाताओं के विश्वास का आकलन करने के लिए जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के लिए यह चुनाव एक महत्वपूर्ण परीक्षा है. मतदाता यह तय करेंगे कि किशिदा सरकार ने कोविड-19 के संक्रमण के बीच देश के लिए कितना अच्छा प्रदर्शन किया.
दूसरी ओर जापान की संवैधानिक डेमोक्रेटिक पार्टी (सीडीपीजे) आम लोगों की राजमर्रा की चिंता को दूर करने के लिए सरकार की ओर से ठोस कदमों नहीं उठाए जाने की आलोचना करते हुए ताजा हालात केलिए ‘किशिदा मुद्रास्फीति’ को जिम्मेदार ठहरा रही है. सीडीपीजे नेता केंटा इजुमी कहते हैं कि मूल्यवृद्धि का लोगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है, और चीजें बदलने लगी हैं. वहीं प्रधानमंत्री किशिदा इस बात खंडन करते हुए मुद्रास्फीति के लिए फरवरी के अंत से शुरू हुए यूक्रेन संकट को जिम्मेदार ठहराया है.
बता दें कि जापान में उच्च सदन के सदस्य छह साल की सेवा करते हैं और 248 सदस्यीय हाउस ऑफ काउंसिलर्स की आधी सीटों पर हर तीन साल में कुल 125 सीटों पर चुनाव लड़ा जाता है, जिसमें चुनावी जिलों में 74 और आनुपातिक प्रतिनिधित्व से 50 शामिल हैं.
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