कुमार इंदर, जबलपुर। मध्य प्रदेश में चुनाव ख़त्म होने ही अब प्रदेश वासियों को बड़ा झटका लग सकता है। राज्य में बिजली की दरों में 3 से 5 फीसदी बढ़ोत्तरी की सभावना जताई जा रही है। कलेक्शन एफिशिएंसी में गिरावट के बाद बिजली कंपनियों ने नियामक आयोग को प्रस्ताव भेजा है।
कलेक्शन एफिशिएंसी में कमी का खामियाजा भुगतेंगे बिजली उपभोक्ता
दरअसल मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव खत्म होते ही बिजली कंपनियों ने प्रदेश की जनता को 440 वॉल्ट का झटका देने की तैयारी कर ली है। कलेक्शन एफिशिएंसी में 30% की गिरावट आई है। जिसके बाद बिजली कंपनियों ने मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग को 3 से 5 फीसदी दरे में बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा है।
बिजली कंपनियां आम उपभोक्ताओं से भरपाई करने की तैयारी में है। विद्युत अधिनियम की धारा 64 के मुताबिक 120 दिन की समय सीमा है। प्रस्ताव के 120 दिन तक फैसला नहीं लिया गया तो प्रस्ताव को पास माना जाता है।
इसका विरोध करते हुए नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने विद्युत नियामक आयोग में आपत्ति लगाई है। नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच अध्यक्ष डॉ पीजी नाजपाण्डे ने कहा कि सरकार ने अपनी ओर से नियामक आयोग के पास 3 से 5 प्रतिशत बिजली की दरें बढ़ाने का प्रस्ताव भेज दिया है। नियामक आयोग बार-बार यह कहता है कि कलेक्शन एफिशिएंसी 90 प्रतिशत के ऊपर होना चाहिए। लेकिन कलेक्शन एफिशिएंसी पिछले तीन महीने के भीतर कलेक्शन एफिशिएंसी 30 प्रतिशत गिर कर लगभग 60 प्रतिशत तक आ गई है।
कलेक्शन एफिशिएंसी का मतलब यह होता है कि आपका दिया हुआ बिल जमा हुआ है या नहीं। उस करेक्शन के आधार पर रेवेन्यू तय होता है। सरकार की ओर से लगभग 13 हजार करोड़ विभिन्न योजनाओं में लिया था वह अब तक विद्युत् कंपनी को नहीं मिला है। इसलिए कंपनियों का रेवेन्यू घट गया है। फाइनेंशियल मिस मैनेजमेंट की वजह से बिजली दर बढ़ाने की नौबत आई है। हमारी सरकार से मांग है कि बिजली की दरें नहीं बढ़नी चाहिए।
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