कोलंबो। श्रीलंका में बढ़ते संकट के बीच एक अप्रैल को लागू आपातकाल को राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने तत्काल प्रभाव से हटा दिया है. मंगलवार देर रात जारी गजट में राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने आपातकाल नियम अध्यादेश को वापस ले लिया है, जिससे सुरक्षाबलों को देश में किसी भी तरह की गड़बड़ी को रोकने के लिए व्यापक अधिकार मिले थे.

श्रीलंका में आर्थिक संकट की वजह से राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे पर इस्तीफा देने का दबाव बढ़ता जा रहा है. इस कड़ी में मंगलवार को सरकार का समर्थन करने वाले 50 से अधिक सांसदों के एक समूह ने संसद में तब तक एक स्वतंत्र समूह के रूप में कार्य करने का फैसला किया, जब तक कि सरकार इस्तीफा नहीं देती और सत्ताधारी शक्तियों को एक सक्षम समूह को नहीं सौंपती. पूर्व मंत्री विमल वीरावांसा ने घोषणा की कि 10 दलों की सरकार में शामिल सांसद सरकार छोड़ देंगे और स्वतंत्र रहेंगे.

बता दें कि सत्तारूढ़ गठबंधन ने 2020 के आम चुनावों में 150 सीटें जीती थीं, और विपक्ष के सदस्यों के पाला बदलने से उसकी संख्या में और बढ़ोतरी हुई थी. इनमें से 41 सांसदों ने समर्थन वापस ले लिया है. इन सासंदों के नामों की घोषणा उनके दलों के नेताओं ने संसद में की, जो अब स्वतंत्र सदस्य बन गए हैं. इससे राजपक्षे के खेमे में सासंदों की संख्या 113 से कम हो गई है, जो 225 सदस्यीय सदन में बहुमत के लिये जरूरी है.

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श्रीलंका वर्तमान में इतिहास के सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. ईंधन, रसोई गैस के लिए लंबी लाइन, आवश्यक वस्तुओं की कम आपूर्ति और घंटों बिजली कटौती से जनता महीनों से परेशान है. जानकार मानते हैं कि मुफ्त वाले ऐलान और भारी मात्रा में कर्ज लेने की वजह से श्रीलंका की अर्थव्यवस्था की ऐसी हालत हुई है. इस सब के ऊपर कोविड -19 महामारी ने श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को भारी झटका दिया है.