Tips To Avoid Emotional Eating: क्या आपने कभी खुद को बिना भूख के खाते हुए पाया है, ख़ासतौर पर तब जब आप तनाव में हों? अगर हाँ, तो यह कोई संयोग नहीं है, बल्कि इमोशनल ईटिंग का संकेत हो सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह आदत हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों पर गहरा प्रभाव डाल सकती है.

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क्या है इमोशनल ईटिंग? (Tips To Avoid Emotional Eating)

इमोशनल ईटिंग वह स्थिति होती है जब कोई व्यक्ति भावनात्मक तनाव—जैसे उदासी, अकेलापन, गुस्सा या चिंता—से उबरने के लिए खाने का सहारा लेता है. ऐसे समय में व्यक्ति आमतौर पर तले-भुने, मीठे या वसायुक्त खाद्य पदार्थों की ओर आकर्षित होता है.

जहां शारीरिक भूख धीरे-धीरे लगती है और संतुष्टि देती है, वहीं इमोशनल भूख अचानक महसूस होती है और खाने के बाद भी संतोष नहीं देती. विशेषज्ञों के अनुसार, इमोशनल ईटिंग केवल खाने की आदत नहीं है, बल्कि यह एक भावनात्मक प्रतिक्रिया है जो अस्थायी राहत तो देती है, लेकिन बाद में ग्लानि और वजन बढ़ने का कारण बन सकती है.

क्या है समाधान? (Tips To Avoid Emotional Eating)

  • माइंडफुल ईटिंग अपनाएं: खाने के समय केवल खाने पर ध्यान दें, टीवी या मोबाइल से बचें.
  • भावनाओं की पहचान करें: खुद से पूछें—”क्या मैं वाकई भूखा हूँ या सिर्फ तनाव में?”
  • विकल्प खोजें: टहलना, मेडिटेशन करना या किसी करीबी से बात करना असरदार विकल्प हो सकते हैं.

याद रखें, इमोशनल ईटिंग एक आम समस्या है, लेकिन सही जागरूकता और रणनीति से इसे नियंत्रित किया जा सकता है.

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