शब्बीर अहमद, भोपाल। खबर राजधानी भोपाल की है। यहां सरकारी सिस्टम की नाकामी से त्रस्त होकर दैवेभो कर्मचारी ने जान देने की कोशिश की। जल संसाधन विभाग के दफ्तर के सामने पूर्व कर्मचारी ने झाड़ियों में छिपकर अपने गर्दन-हाथ पर 10 से ज्यादा वार किए। इसके बाद खून से लथपथ होकर वहीं तड़प रहा था। राहगीरों ने इसकी जानकारी पुलिस को दी। कर्मचारी को हीमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
पुलिस के मुताबिक ओमप्रकाश भार्गव (57) साल 1986 से अशोकनगर के चंदेरी में दैवेभो कर्मचारी थे। 2003 में उनका वेतन 1882 रुपए था। इसी साल तत्कालीन राज्यपाल रामप्रकाश गुप्त ने आदेश निकाला कि विभाग के जो दैनिक वेतन भोगी स्वेच्छा से सेवानिवृत्ति लेंगे, उन्हें सरकार की ओर से 70 हजार रुपए दिए जाएंगे। इस पर ओमप्रकाश ने सेवानिवृत्ति ले ली। इसके बाद उन्होंने 70 हजार रुपए के लिए आवेदन किया, लेकिन रुपए नहीं मिले। वह 18 साल से रुपयों के लिए लड़ रहे हैं। विभाग, विभागीय मंत्री, सरकार तक आवेदन दिया, लेकिन सुनवाई नहीं हुई।
कर्मचारी पिछले 18 साल से 70 हजार के लिए संघर्ष कर रहा है। सरकारी सिस्टम से परेशान होकर उसने सुसाइड जैसे फैसला ले लिया। गुरुवार को कर्मचारी ने भोपाल में जल संसाधन विभाग के दफ्तर के सामने खुद पर चाकू से कई वार किए। कर्मचारी की स्थिति गंभीर है। पुलिस मामले की जांच में जुट गई है।
नोट में लिखा- मैं 2003 से अधिकार की लड़ाई लड़ रहा हूं
मौके पर नोट मिला है। इसमें लिखा- मैं आत्महत्या कर रहा हूं। मैं 2003 से अधिकार की लड़ाई लड़ रहा हूं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। मुझे रिटायरमेंट के 70 हजार रुपए भी नहीं मिले। अब जान दे रहा हूं। उन्होंने जल संसाधन विभाग के तत्कालीन एसडीओ भदौरिया समेत दो तीन लोगों को सुसाइड के लिए जिम्मेदार ठहराया है। पुलिस का कहना कि जिन अधिकारियों के ओमप्रकाश ने नाम लिखे हैं, संभवत: अब वह रिटायर्ड हो गए होंगे। एसडीओ भदौरिया ने ही उन्हें सेवा से पृथक कर दिया गया था।
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