शिखिल ब्यौहार। मध्यप्रदेश में एक बार फिर 40 से 50 लाख श्रमिक वर्ग आंदोलन की राह पर है। मामला श्रम विभाग से संबंधित कानूनों में संशोधन का है। दरअसल, बीते तीन जून को पचमढ़ी में हुई कैबिनेट बैठक में सरकार ने श्रम विभाग से संबंधित तीन बड़े संशोधनों को मंजूरी दी। कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों ने बताया कि इन संशोधनों के बाद निजी क्षेत्र में काम करने वाले 25 लाख ठेका श्रमिक, सरकारी क्षेत्र के 10 लाख आउटसोर्स कर्मचारी और 15 लाख से अधिक औद्योगिक मजदूरों श्रम कानूनों के तहत मिले न्यूनतम वेतन, सामाजिक सुरक्षा, 8 घंटे काम के अधिकार, स्वास्थ्य जैसे अधिकारों से वंचित हो जाएंगे। साथ ही सरकार ने लोकतांत्रिक तरीके किए जाने वाले धरना, प्रदर्शन, रैली, हड़ताल से भी वंचित किया है। कर्मचारी संगठनों ने सरकार को आंदोलन की चेतावनी की है।

आइए बताते हैं आपको सरकार के तीन संशोधन और क्या होगा असर

ठेका श्रम (नियमन और उन्मूलन) अधिनियम, 1970

ठेका श्रमिकों की सीमा 20 से बढ़ाकर 50 कर दी गई है, जिससे छोटे व्यवसायों के लिए नियमों में ढील दी गई है। अभी तक जहां 20 ठेका श्रमिक, आउटसोर्स कर्मचारी काम करते थे, उन्हें श्रम कानूनों का लाभ दिया जाता था, इनकी संख्या बढ़ाकर 50 करने से ज्यादातर ठेका श्रमिक श्रम कानूनों के दायरे से बाहर हो जाएंगे।

ये भी पढ़ें: नेता प्रतिपक्ष ने पीएम-सीएम को लिखा पत्र: बुरहानपुर में आदिवासी पट्टों को लेकर की मांग, 15 दिन में निराकरण न होने पर आंदोलन दी चेतावनी

इसका प्रभाव क्या होगा

  • इस बदलाव से ठेका श्रमिकों की आर्थिक ओर सामाजिक स्थिति ओर खराब होगी।
  • अधिक ठेका श्रमिकों को रखने की अनुमति देने से स्थायी रोजगार के अवसर कम होंगे।
  • ठेकेदारों द्वारा श्रमिकों को कम से कम सुरक्षा और न्यूनतम लाभ दिये जाएंगे, जिससे उनकी स्थिति ओर खराब होगी।
  • ठेका श्रमिकों का शोषण बढ़ेगा । उन्हें कम वेतन और खराब कामकाजी परिस्थितियों मे काम करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

कारखाना अधिनियम, 1948

कारखानों में श्रमिकों की सीमा बिजली के साथ 20 और बिना बिजली के 40 कर दी गई है, जो पहले क्रमशः 10 और 20 थी। पहले उद्योगों में 10 और 20 श्रमिकों पर श्रम कानूनों लागू होते थे, अब इनकी संख्या बढाकर 20 और 40 कर दी है, जिससे औद्योगिक श्रमिक भी श्रम कानूनों से वंचित हो जाएंगे। क्योंकि ऐसे कारखानों की संख्या अधिक है जिनमें 10-20 श्रमिक काम करते हैं।

इसका प्रभाव क्या होगा

  • इस बदलाव से छोटे कारखानों में काम करने वाले मजदूरों की सुरक्षा और स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
  • छोटे कारखानों में सुरक्षा और स्वास्थ्य नियमों का पालन कम होंगे, जिससे मजदूरों की सुरक्षा और स्वास्थ्य खतरे में पड़ेगा।
  • छोटे कारखानों में कामकाजी परिस्थितियों का खराब होना निश्चित ही मजदूरों के स्वास्थ्य और सुरक्षा पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा।

औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947

हड़ताल या तालाबंदी से पहले नोटिस का प्रावधान सभी औद्योगिक प्रतिष्ठानों में लागू करने के लिए विस्तारित किया गया है, पहले ऐसा नहीं था।

ये भी पढ़ें: करोड़ों की धोखाधड़ी का आरोपी राजेश शर्मा फरार: गिरफ्तारी से बचने विदेश भागा, 9 जून को EOW में दर्ज हुआ था मामला

इसका प्रभाव क्या होगा

  • इस बदलाव से मजदूरों की हड़ताल करने की क्षमता पर अंकुश लगाने की पुरी व्यवस्था की गई है।
  • मजदूरों के अधिकारों की रक्षा करना मुश्किल होगा, क्योंकि हड़ताल करने की क्षमता पर अंकुश लगाने से मजदूरों की आवाज दब सकती है।
  • मजदूरों की स्थिति खराब हो सकती है, क्योंकि उन्हें अपने अधिकारों की रक्षा करने के लिए कोई विकल्प ही नहीं मिलेंगे।

कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों ने सरकार को दी चेतावनी

अस्थाई और आउटसोर्स श्रमिक कर्मचारी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष वासुदेव शर्मा ने बताया कि यह सरकार की मनमानी है। पहले ही सरकार ने श्रमिकों को न्यूनतम वेतन के अधिकार से वंचित रखा है। सरकार मजह तीन से पांच हजार रुपये में मजदूर वर्ग का शोषण कर रही है। इन संशोधन से प्रदेश के लाखों श्रमिकों की स्थिति बंधुआ मजदूरों से भी बदतर होगी। उधर, मध्यप्रदेश कर्मचारी मंच के प्रांताध्यक्ष अशोक पांडे ने कहा कि मामले में सभी कर्मचारी संगठन एक हैं। अब सड़कों पर आंदोलन होगा। मंत्रालय के सामने आदेश की प्रतियां जलाई जाएगी। यह संशोधन किसी काले कानून से कम नहीं है।

कांग्रेस ने कहा- हम कर्मचारियों के साथ, बीजेपी ने कही ये बात

कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता स्वदेश शर्मा ने कहा कि यह कानून सरकार की उस नियत को दिखाता है जो लगातार मजदूर वर्ग का शोषण करती आ रही है। सरकार ने मंत्रालय में बैठे अफसरों की खास चिंता की है, लेकिन मजदूर वर्ग के कर्मचारियों की स्थिति बद से बदतर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। प्रदेश में विकास की बात तो की जाती है पर श्रमिक वर्ग के न्यूनतम वेतन को लेकर सरकार चुप हो जाती है। वहीं बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता अजय सिंह यादव ने कहा कि सरकार सभी वर्गों के हित में निर्णय ले रही है। यदि कर्मचारियों की कुछ संशोधनों को लेकर आपत्ति है तो विचार किया जाएगा।

Lalluram.Com के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें.
https://whatsapp.com/channel/0029Va9ikmL6RGJ8hkYEFC2H