सत्यपाल राजपूत, रायपुर। गढ़बो डिजिटल छत्तीसगढ़ कार्यक्रम के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार दिलाने वाले सैकड़ों कर्मचारियों को 11 महीने से वेतन नहीं मिला है. कोरोना महामारी में योद्धा के रूप में काम कर रहे साक्षर मिशन के कर्मचारियों ने कई बार जिम्मेदार अधिकारियों के चक्कर लगाए. लेकिन कही कोई सुनवाई नहीं हुई. वित्त विभाग द्वारा बार-बार आपत्ति लगाई जा रही है. अब कर्मचारियों ने शिक्षा मंत्री से दखल देने के लिए गुहार लगाई है.

राज्य शासन की उच्च प्राथमिकता वाले कार्यक्रम के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले स्कूल शिक्षा विभाग के शिक्षा पोर्टल में दिन रात एक कर डाटा अपलोड करने वाले ज़िला व ब्लाक साक्षरता मिशन के कर्मचारियों को विगत 11 माह से वेतन के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है. साथ ही कोविड- 19 के इस संकट में करोना योद्धा के रूप में कार्य कर रहे साक्षरता मिशन के कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री से तत्काल राहत की मांग की है.

राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण के तहत ज़िले व ब्लाक स्तर पर कार्यरत 100 से अधिक कर्मचारी (लेखपाल, सहा ग्रेड -3, डाटा एंट्री आपरेटर) प्रदेश के विभिन्न जिलों में पदस्थ है, जिन्हें लगभग अगस्त 2019 से वेतन व मानदेय का भुगतान नहीं हो रहा है, जिसके कारण उन्हें आर्थिक, मानसिक व पारिवारिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.

प्रदेश में 28 फ़रवरी 2019 को मुख्यमंत्री द्वारा डिजिटल असाक्षर को ई-साक्षर बनाने के लिए नवाचारी कार्यक्रम “गढ़बो डिजिटल छत्तीसगढ़” प्रारंभ किया गया. जिसमें छत्तीसगढ़ के 27 जिलो में लगभग 10 हजार शिक्षार्थियों को डिजिटल साक्षर करने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. इसी प्रकार राज्य के पालकों को जागरूक करने के लिये “ श्रेष्ठ पालकत्व” कार्यक्रम यूनिसेफ़ के सहयोग से “सीख कार्यक्रम” तथा प्रदेश के स्कूलों में सामुदायिक सहभागिता बढ़ाने एवं सघन मानिटारिंग के लिए बनाए गए “ हमर लाइका हमर स्कूल” मोबाइल एप में दिन रात मेहनत कर समय सीमा के भीतर डाटा एंट्री का कार्य युद्ध स्तर पर किया गया है.

बता दें कि साक्षरता के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किये जाने के कारण छत्तीसगढ़ को राज्य स्तर, जिला स्तर व ग्राम पंचायत स्तर पर राष्ट्रपति द्वारा लगातार पुरस्कृत किया गया है. इन कार्यों में जिला व ब्लाक के इन कर्मचारियों ने अथक प्रयास किया था. कर्मचारियों द्वारा वर्तमान में संचालित ‘गढ़बो डिजिटल छत्तीसगढ़ ‘कार्यक्रम व केंद्र द्वारा स्वीकृत पढ़ना लिखना अभियान कार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका है. लेकिन इन कर्मचारियों को सरकार द्वारा पुरस्कार देना तो दूर इनके द्वारा की गई मेहनत का वाजिब हक़ भी प्रदान नहीं किया जा रहा है.