सत्यपाल राजपूत, रायपुर। प्रदेश के शासकीय कर्मचारियों के पदोन्नति-क्रमोन्नति एवं वेतन वृद्धि रोकने के फैसले का विरोध शुरू हो गया है. प्रदेश के सभी कलेक्ट्रेट कार्यालयों में कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. और तत्काल इस फैसले में संशोधन करने की मांग की है. यदि मांग नहीं मानी गई तो आंदोलन करने की चेतावनी दी गई है. इसके साथ ही वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए राज्य में हो रहे अनावश्यक विकास कार्य पर सवाल उठाए हैं. वहीं कर्मचारियों ने राज्य के बड़े आईएएस, आईपीएस अधिकारी पर भी ठीकरा फोड़ा है. कहा कि पूर्व सरकार के अधिकारी वर्तमान सरकार को भ्रमित कर बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं. कर्मचारियों ने सरकार के बड़े होटल में बैठक, विदेश यात्रा पर रोक जैसे निर्णय का समर्थन किया.

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विजय कुमार झा महामंत्री ने कहा कि प्रदेश के शासकीय सेवकों को उनके कार्य की गुणवत्ता के आधार पर वर्ष में एक बार जनवरी या जुलाई में वेतन वृद्धि दिया जाता था, जो मात्र 3 फीसदी राशि मिलती थीं, उसे रोका जाना कर्मचारी विरोधी निर्णय है और बिना कर्मचारी संगठन को विश्वास में लिए बिना मुख्यमंत्री को बताएं यह वही आईएएस अधिकारियों ने आदेश प्रसारित कराया है जो स्वयं वेतन वृद्धि ले रहे हैं.

पदोन्नति 20 साल 25 साल में एक बार होती है, पदोन्नति ना करना और होने पर उसका एरिया सुना देना यह भी छोटे कर्मचारियों के हितों के विपरीत है. जब पूरा प्रदेश का शासकीय कर्मचारी, अधिकारी मुख्यमंत्री और सरकार से कंधे से कंधा मिलाकर कोरोना वायरस में अपनी जान की बाजी लगाकर सहयोग कर रहा है, ऐसे समय में पूर्ववर्ती सरकार की भांति अफसरशाही छत्तीसगढ़िया मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नरवा, गरवा, घुरवा बारी के नीति के विपरीत निर्णय कराकर उन्हें बदनाम करा रहे हैं.

इस आदेश को तत्काल वापस लिया जाना चाहिए. यदि आर्थिक संकट है तो 120 करोड़ का विधायक विश्रामगृह, 16 करोड़ में बूढ़ा तालाब का सौंदर्यीकरण और आज ही 17 करोड़ का टेनिस स्टेडियम बनाने के आदेश जारी किया गया है, वायरस को देखते हुए भी तत्काल रोक लगना चाहिए, ताकि प्रदेश के गरीब जनता मजदूर और श्रमिकों को करोना वायरस में सुविधा दी जा सके.