छत्तीसगढ़ शासन द्वारा बनाए गए गौठानों में संचालित किए जा रहे रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (रीपा) से ग्रामीण युवाओं, महिलाओं और पुरुषों की जिंदगी संवर रही है. रीपा से आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास के सकारात्मक और बेहतर परिणाम सामने आने लगे हैं. ग्रामीण महिला-पुरुष, युवा अब खुद रीपा योजना अंतर्गत रोजगार से जुड़कर अपने पैरों पर खड़े हो रहे हैं.

स्व-सहायता समूह के अध्यक्ष रतन माझी बताते हैं कि पहले उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, पैसों की किल्लत रहती थी. वह मेहनत मजदूरी करने जम्मू कश्मीर जाते थे. लेकिन जब उन्हें पता चला की छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क (रीपा) अंतर्गत आजीविका संबंधी रोजगार प्राप्त हो रहा है. तब उन्होंने तत्काल रीपा से जुड़कर छत्तीसगढ़ शासन के मदद से दोना पत्तल बनाने की मशीन और पेपर कप बनाने की मशीन प्राप्त किये और आज उससे दोना पत्तल बनाकर लाभ पिछले महीने में हीं लगभग 30 हजार रुपये लाभ प्राप्त हो चुके हैं. अब रोजी मजदूरी के लिए बाहर नहीं जाना पड़ता.

कम समय में इतना लाभ देखकर बढ़ा उत्साह

रतन आगे बताया कि अभी वह पेपर कप बनाने का कार्य भी सीख रहे हैं जिसे सीख कर पेपर कप भी बनाएंगे. जिससे उन्हें और आमदनी में बढ़ोतरी होगी. कम समय में इतने लाभ को देखकर उनका उत्साह और बढ़ गया है और अब उसी उत्साह के साथ वह आगे भी बहुत अच्छा कार्य करने लगे हैं. कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी के निर्देशन में गोविंदा गौठान में संचालित महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क (रीपा) में, यहां के ग्रामीण युवाओं ने उद्यमी बनने की दिशा में आगे कदम बढ़ाते हुए रीपा से जुड़कर दोना-पत्तल बनाने का कार्य कर रहे हैं.

दिनों दिन बढ़ रही मांग

उनके समूह के सदस्यों द्वारा बनाए जाने वाले दोना पत्तल की मांग उनके गांव सहित आसपास के क्षेत्र में दिनों दिन बढ़ रही है और दुकानदार भी उनसे दोना पत्तल खरीदने के लिए अधिक संख्या में जुड़ रहे हैं. इन युवाओं ने अपने मेहनत और ऊर्जा से विगत माह में 30 हजार मुनाफा कमा लिया है. उन्होंने कभी नही सोच था कि उन्हें अपने ग्रामीण क्षेत्र में इस प्रकार का रोजगार प्राप्त कभी हो सकता हैं.

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