कोरिया। मैं जय स्तम्भ चौक हूं. शहर के प्रमुख चौक चौराहों में मेरी गिनती होती है. मेरा इतिहास भी पुराना है, लेकिन मैं आजाद नहीं हूं. मुझे आजादी चाहिए. जब भी लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करनी पड़ती है. जयंती मनानी पड़ती है तो लोग मेरे पास आकर यहां दीप जलाकर, पुष्प अर्पित कर अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं. हर 15 अगस्त और 26 जनवरी के यहां झंडा भी फहराते हैं. देशभक्ति की बड़ी बड़ी बातें करते हैं और चले जाते हैं, लेकिन मुझे अब तक आजाद नहीं करा पाए. मैं कब्जाधारियों के कैद में हूं.

दरअसल, हम बात कर रहे हैं कोरिया जिले के जय स्तम्भ चौक की, जो अतिक्रमणकारियों की वजह से चारदीवारी में कैद है. जय स्तम्भ चौक अतिक्रमणकारियों की चपेट में है. 3 दशकों से जैसे जैसे शहर बढ़ता गया चौक का कद घटता गया और पहचान गुम होती गई.

मेरी इस स्थिति का जिम्मेदार कौन ?
जय स्तंभ राष्ट्र की संपत्ति होते हैं, राष्ट्र की धरोहर होते हैं, लेकिन अगर उस पर अतिक्रमण कर लिया जाए और इसे आजाद कराने के लिए आम लोगों को न्यायालय की शरण लेना पड़े तो इसका जिम्मेदार आखिर कौन है. भारत गणराज्य में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. बड़े बड़े आयोजन हो रहे हैं, लेकिन दुर्भाग्य है अमर शहीदों की शहादत को याद रखने के लिए बनाया गया अभी तक आजाद नहीं हो पाया है.

अतिक्रमण की चपेट में गांधी पार्क
एक ओर जहां जयस्तंभ अतिक्रमण का शिकार है. वहीं दूसरी ओर जय स्तंभ से लगा हुआ गांधी पार्क नाम का स्थल भी अतिक्रमण से नहीं बच पाया है. गांधी पार्क बच्चों के खेलने के लिए बनाया गया है, लेकिन एक तथाकथित ट्रस्ट ने इसे भी अपने कब्जे में कर लिया है. पूरे परिसर में तालाबंदी कर दी गई है.

क्या कहते हैं जिम्मेदार ?
एसडीएम नयनतारा सिंह तोमर जयस्तम्भ का मामला न्यायालय में है, इसलिए चारदीवारी में है. शिकायत को लेकर प्रकरण दर्ज है. मामला न्यायलयीन है विचाराधीन है. इसलिए प्रकरण पर फैसला आने के बाद ही कुछ होगा.

कलेक्टर कुलदीप शर्मा इस पूरे मामले में एसडीएम मनेन्द्रगढ़ से जानकारी लेकर ही कुछ कह पाऊंगा. एसडीएम से इस मामले में जानकारी लेता हूं. मनेन्द्रगढ़ नगर पालिका अध्यक्ष प्रभा पटेल ने कहा कि अतिक्रमण हटाया जाता है, लेकिन फिर से वहां दुकान लगा लेते हैं. नगर पालिका के माध्यम से इसका सौंदर्यीकरण कराएंगे.

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