रायपुर. राजस्थान राज्य के प्रधान ऊर्जा सचिव और आईएएस भास्कर ए सावंत, राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर आरके शर्मा ने दो दिन के रायपुर प्रवास के दौरान छत्तीसगढ़ के आला अफसरों से कोयले की निरंतर आपूर्ति के बारे में चर्चा की. छत्तीसगढ़ प्रशासन ने आश्वासन दिलाया कि वह राजस्थान में बिजली की किल्लत न हो, इसके लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा.
आरआरवीयूएनएल की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 7,580 मेगावाट है, जिसमें से 4,340 मेगावाट के लिए कोयला छत्तीसगढ़ से जाता है. ऐसे में राजस्थान की आधे से भी ज्यादा कोयला आधारित विद्युत क्षमता छत्तीसगढ़ पर आधारित है. छत्तीसगढ़ में राजस्थान को तीन कोयला खदानें आवंटित है, जिसमें से हाल में सिर्फ परसा ईस्ट कांता बसन (पीईकेबी) ब्लॉक से साल का करीब 150 लाख टन कोयला उत्पादन होता है. पीईकेबी ब्लॉक के प्रथम चरण में अब कुछ ही दिनों का कोयला बचा है और अगर दूसरे चरण में जल्द ही काम शुरू नहीं हो पाया तो राज्य को बिजली की कटौती का सामना करना पड़ सकता है.
सोमवार को राजस्थान के प्रधान ऊर्जा सचिव सावंत और शर्मा ने छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सचिव, डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस अशोक जुनेजा और प्रिंसिपल चीफ कंजर्वेटर ऑफ फारेस्ट आरके चतुर्वेदी से मुलाकात की. वहीं शर्मा ने मंगलवार को सुरगुजा कलेक्टर संजीव कुमार झा से भी मुलाकात की.
पर्यावरण की सुरक्षा के लिए भी उठा रहे कदम
राजस्थान और छत्तीसगढ़ राज्यों की सरकारें और प्रशासन जितना की निरंतर बिजली की आपूर्ति के लिए प्रतिबद्ध है उतना ही पर्यावरण के प्रति सजग है. पीइकेबी खदान के रिक्लेम क्षेत्र में ही आठ लाख से ज्यादा वृक्षारोपण किया गया है, जो अब एक नए जंगल का रूप ले चुके हैं. इसके अलावा दोनों राज्यों ने कोयला खदान से पर्यावरण पर होने वाले प्रभाव को नियंत्रित करने छत्तीसगढ़ के वन विभाग द्वारा 40 लाख पौधों का रोपण करवाया है. साथ ही आरआरवीयूएनएल एक जिम्मदार संस्थान है और सुरगुजा क्षेत्र में स्थानीय लोगों के सशक्तिकरण, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए अनेक कार्यक्रम चल रहे हैं.
कोयला नहीं मिलने पर होगी परेशानी
अंबिकापुर में कलेक्टर संजीव कुमार झा से आज मुलाकात करने के बाद आरके शर्मा ने पत्रकारों के पूछे गए सवालों के जवाब में कहा कि राजस्थान की 4340 मेगावाट की ताप विद्युत परियोजना का कोयला छत्तीसगढ़ की हमारी कैप्टिव कोल माइंस से जाता है, इसे लेकर हम लोग चिंतित हैं. हमारे जो प्रिंसिपल एनर्जी सेक्रेटरी भास्कर सामंत भी कल यहां आए थे. कल हमने यहां पर चीफ सेक्रेटरी, प्रिंसिपल कंजर्वेटर फॉरेस्ट, DGP साहब से भी बात की है और हमने हमारी चिंताओं और राजस्थान में जो बिजली संकट मंडरा रहा है उस पर बात की. अगर हमें इन कैप्टिव कोल माइंस से कोयला नहीं मिलता है तो राजस्थान वाकई बहुत बड़ी परेशानी में फंस जाएगा.
छग सरकार से हर तरह का मिला आश्वासन
उल्लेखनीय है कि राजस्थान के ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने कल ट्वीट करके बताया था कि वो राजकीय कार्यों में व्यस्त होने की वजह से छत्तीसगढ़ नहीं जा पा रहे हैं. उन्होंने छत्तीसगढ़ प्रशासन और लोगों से जल्द से जल्द खनन शुरू करने में सहयोग की अपील की थी. राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) के चेयरमैन शर्मा ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से उन्हें हर तरह का आश्वासन दिया गया है. सरकार पूरी तरह से हमारे साथ है. उन्होंने ये भी बताया कि स्थानीय लोग भी माइनिंग के समर्थन में हैं और वहां के विधायक टीएस सिंहदेव भी राजस्थान सरकार की आवश्यकता को समझते हैं. उनका भी सहयोग हमें मिलता रहा है और मिलेगा.
2013 से 2022 तक 8.11 लाख पौधे लगा चुके
शर्मा ने जंगल बचाने के लिए किए गए प्रयासों का जिक्र करते हुए कहा कि हसदेव अरण्य का एक लाख अस्सी हजार हेक्टेयर वन क्षेत्र है. इसमें से चार हजार हेक्टेयर के आस पास की जमीन हमने ली है और 2013 से 2022 तक 8.11 लाख पौधे हम लगा चुके हैं. साथ ही फारेस्ट डिपार्टमेंट 40 लाख से ज्यादा पौधा लगा चुका है और साथ में 9000 पौधेहमने सीधे उखाड़ के लगाए हैं. जैसे जैसे खनन पूरा हो रहा उसमें बैक फिलिंग करके जमीन समतल कर उस पर और पौधे लगाए जा रहे हैं.