दिल्ली. देश के सभी इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट कॉलेजों में वर्ष 2019 से छात्र परीक्षा में किताब देखकर प्रश्न पत्र हल कर सकेंगे. केंद्र सरकार ने अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) की परीक्षा सुधार नीति को अपनी मंजूरी दे दी है. खुली किताब से परीक्षा देने का मकसद अब रट्टा लगाकर केवल परीक्षा पास करना नहीं, बल्कि छात्रों की कौशल को परखना और उन्हें रोजगार व समाज से जोड़ना है.
एआईसीटीई के अध्यक्ष प्रो. अनिल डी सहस्रबुद्धे ने बताया कि पहली बार इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट परीक्षा के पाठ्यक्रम व परीक्षा की यह नीति लागू हो रही है. देश में तकनीकी शिक्षा व्यवस्था, उसकी परीक्षा और प्रश्नपत्र की गुणवत्ता लंबे समय से चिंता का कारण रही है. अभी डिग्री के बाद भी 50 फीसदी छात्रों को रोजगार नहीं मिल पाता था.
प्रो. अशोक एस शेट्टार कमेटी ने इन्हीं दिक्कतों का हल निकालते हुए जो सिफारिशें की हैं, उस परीक्षा सुधार नीति को लागू किया जा रहा है. अब तक परीक्षा में 95 फीसदी सवाल रट्टा वाले होते थे. नए परीक्षा प्रारूप में प्रयोग, विश्लेषण, मूल्यांकन और शोध पर जोर रहेगा. यानी अब अभ्यास व नए प्रयोग से ही परीक्षा पास की जा सकेगी.
नई परीक्षा नीति के प्रश्नपत्र में तीन स्तर पर अंकों का विभाजन होगा. बीटेक, एमटेक, एमबीए प्रोग्राम में 36 फीसदी प्रश्नों का हल समझ के आधार पर देना होगा. जबकि 46 फीसदी प्रश्न प्रायोगिक आधार पर होंगे. इसके अलावा 18 फीसदी प्रश्न मूल्यांकन व विश्लेषण आधारित होंगे.
परीक्षा सुधार नीति वाशिंगटन अकॉर्ड के अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करती है. इसके लागू होने के बाद एनबीए की टीम कॉलेजों में जाकर मानकों की जांच भी करेगी. दरअसल वाशिंगटन समझौता एक अंतरराष्ट्रीय संधि है, जिसके तहत भारत ने 2010 में हस्ताक्षर किए थे. इसमें भारतीय इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट की डिग्री को विश्व स्तर पर मान्यता मिलती है. इसी के चलते भारतीय युवा दुनिया के किसी भी देश में जाकर नौकरी कर पाते हैं.
अब प्रश्न पत्रों के सैंपल पेपर भी उपलब्ध करवाए जाएंगे. डिजाइन ओरिएंटेड कोर्स ओपन बुक एग्जाम में शामिल होगा. इसके अलावा आउटकम और परफॉरमेंस आधारित मूल्यांकन शिक्षा पर जोर रहेगा. परीक्षा के प्रारूप में प्रोजेक्ट आधारित लर्निंग मॉड्यूल, मिनी प्रोजेक्ट, इंटर्नशिप एक्सपीरियंस व ई-पोर्टफोलियो शामिल होगा.