गौरव जैन, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही. केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू ने जीपीएम जिले के युवाओं की बहुप्रतीक्षित मांग जनजाति विश्वविद्यालय में इसी सत्र से इंजीनियरिंग में प्रवेश प्रारंभ करने के लिए शिक्षा मंत्री और उच्च सचिव को अनुशंसा पत्र भेजा है. अब जिले के छात्र-छात्राओं को इसी साल से ही इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने की सुविधा मिलेगी.
बता दें कि 15 वर्षों से गौरेला पेंड्रा मरवाही के छात्र एवं अभिभावक इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम की पढ़ाई शुरू किए जाने की मांग करते आ रहे हैं. कुलपति प्रो. ब्योमकेश त्रिपाठी की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय के अकादमिक काउंसिल से पांच अतिउपयोगी विषयों में इंजीनियरिंग बीटेक पाठ्यक्रम में इसी सत्र से प्रवेश प्रारंभ करने फरवरी 2025 में ही प्रस्ताव पारित किया गया है. इसके लिए सामान्य अनुमति के लिए शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार को पत्र भेजा जा चुका है. इस संदर्भ में ज्ञापन पर संज्ञान लेते हुए आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय, भारत सरकार के राज्य मंत्री तोखन साहू ने शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और उच्च शिक्षा सचिव विनीत जोशी को पत्राचार कर सत्र 2025 से पांच बीटेक पाठ्यक्रमों में प्रवेश प्रक्रिया तत्काल शुरू करने अनुशंसा पत्र भेजा है.


इस संबंध में भाजपा नेता मनीष गहलोत से चर्चा कर एक प्रतिनिधिमंडल मोरध्वज पैकरा सभापति, खेल एवं युवा कल्याण स्थायी सदस्य शिक्षा, मध्य क्षेत्र प्रमुख, स्वावलंबन केंद्र एवं पूर्व राष्ट्रीय कार्यपरिषद सदस्य एवं विभाग संगठन मंत्री, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने आज एक ज्ञापन सौंपकर केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू से विस्तार से चर्चा की. तोखन साहू ने युवा एवं छात्रों की मांग को गंभीरता से लिया. उन्होंने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए बताया कि यह विषय मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के युवाओं की शैक्षणिक आकांक्षाओं और उनके भविष्य के निर्माण से जुड़ा हुआ है.
केंद्रीय राज्य मंत्री साहू ने बताया, मध्यप्रदेश के अनूपपुर, डिंडोरी और मंडला तथा छत्तीसगढ़ के गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जैसे जनजातीय बहुल जिलों में बीटेक अथवा समकक्ष तकनीकी शिक्षा की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है. इस स्थिति के कारण हमारे युवा या तो अपनी पढ़ाई अधूरी छोड़ने को मजबूर होते हैं या आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद अन्य राज्यों में पलायन करते हैं. विगत 17 वर्षों में अभियांत्रिकी पाठ्यक्रमों की अनुपलब्धता इस क्षेत्र की वास्तविक आवश्यकताओं की पूर्ति में अब तक बाधक रही है. यह प्रस्ताव केवल एक शैक्षणिक पहल नहीं है, बल्कि यह हजारों छात्रों की आशाओं और सपनों का प्रतिनिधित्व करता है, जो वर्षों से तकनीकी शिक्षा के अवसरों की प्रतीक्षा कर रहे हैं. विश्वविद्यालय द्वारा प्रस्तावित ये पाठ्यक्रम क्षेत्रीय रोजगार, नवाचार, और कौशल विकास को भी सशक्त बनाएंगे.
तोखन साहू ने बताया कि प्रस्तावित पाठ्यक्रम में बी.टेक – बायोमेडिकल एवं रोबोटिक इंजीनियरिंग, बी.टेक – कंप्यूटर साइंस एवं इंजीनियरिंग, बी.टेक – फूड टेक्नोलॉजी एवं प्रबंधन, बी.टेक – सूचना प्रौद्योगिकी एवं इंजीनियरिंग तथा बी.टेक – माइनिंग इंजीनियरिंग में इसी वर्ष से प्रवेश प्रारम्भ होगा. विश्वविद्यालय के दिशा-निर्देशों के अनुरूप बी.वॉक. पाठ्यक्रमों से जुड़े योग्य छात्रों को बी.टेक के सातवें सेमेस्टर में लेटरल एंट्री भी होगा, जिससे व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त युवाओं के लिए उनके भविष्य को सवारने वाला साबित होगा. राज्य मंत्री तोखन साहू द्वारा अनुशंसा किए जाने से बिलासपुर, लोरमी, मुंगेली, कोटा, पंडरिया, रतनपुर, गौरेला, पेंड्रा तथा मरवाही सहित छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश के युवाओं ने खुशी जताई है.
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