Navy Permanent Commission: सुप्रीम कोर्ट(Suprem Court) ने मंगलवार, 21 मई 2025 को स्पष्ट किया कि अब और सहन नहीं किया जाएगा और नौसेना को 2007 बैच की ‘शॉर्ट सर्विस कमीशन’ अधिकारी को स्थायी कमीशन न देने के लिए कड़ी फटकार लगाई. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे अपने अहंकार को त्यागें और सीमा चौधरी(Seema Choudhri) जो ‘जज एडवोकेट जनरल’ (जेएजी) शाखा की अधिकारी हैं, के मामले पर एक सप्ताह के भीतर विचार करें तथा उन्हें स्थायी कमीशन प्रदान करें.

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वरिष्ठ अधिवक्ता आर. बालासुब्रमण्यम ने नेवी की ओर से यह तर्क प्रस्तुत किया कि सीमा चौधरी की तीन वार्षिक गोपनीय रिपोर्टों में नकारात्मक टिप्पणियाँ थीं, जिन्हें स्थायी कमीशन के लिए नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह पाया कि इन टिप्पणियों को समीक्षा अधिकारी और अंतिम प्राधिकारी द्वारा खारिज कर दिया गया था, और सीमा को 7.6 अंक दिए गए थे. कोर्ट ने यह सवाल उठाया कि जब सभी मानक पूरे किए गए हैं, तो स्थायी कमीशन से क्यों वंचित किया गया? सुप्रीम कोर्ट ने नेवी के रवैये को अहंकारी बताते हुए कहा कि यह लैंगिक समानता के सिद्धांतों और कोर्ट के पूर्व आदेशों का उल्लंघन है. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि 26 फरवरी 2024 को पारित उसका निर्णय अंतिम है, और नौसेना को इसे लागू करना होगा.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अपना तौर-तरीका सुधारें

न्यायालय ने नौसेना अधिकारियों और केंद्र के वरिष्ठ अधिवक्ता आर. बालासुब्रमण्यम से कहा कि अब और सहन नहीं किया जाएगा. उन्होंने अधिकारियों से अनुरोध किया कि वे अपने कार्यशैली में सुधार करें और स्थायी कमीशन देने के लिए एक सप्ताह का समय निर्धारित किया. न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि क्या संबंधित अधिकारी न्यायालय के आदेशों की अनदेखी कर सकते हैं, और यह सवाल उठाया कि वे किस प्रकार के अनुशासित सशस्त्र बल हैं.

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आप किस तरह की अनुशासित सेना हैं

पीठ ने नौसेना अधिकारियों और केंद्र के वरिष्ठ वकील आर. बालासुब्रमण्यम से कहा कि अब और सहन नहीं किया जाएगा और उन्हें अपने व्यवहार में सुधार करने की सलाह दी. पीठ ने एक सप्ताह का समय दिया ताकि स्थायी कमीशन प्रदान किया जा सके. उन्होंने यह भी पूछा कि क्या संबंधित अधिकारी अदालत के आदेशों की अनदेखी कर सकते हैं और किस प्रकार की अनुशासित सेना हैं. चयन बोर्ड की कार्यवाही और अधिकारी की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट का अवलोकन करते हुए, पीठ ने यह सवाल उठाया कि जब अधिकारियों ने यह दावा किया कि उन्होंने सभी मानक पूरे कर लिए हैं, तो फिर उन्हें स्थायी कमीशन क्यों नहीं दिया गया.

स्थायी कमीशन में क्यों नहीं लिया गया?

पीठ ने चयन बोर्ड की कार्यवाही और अधिकारी की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट का गहन अवलोकन किया. न्यायालय ने यह प्रश्न उठाया कि जब अधिकारियों ने सभी मानकों को पूरा करने का दावा किया था, तो फिर उन्हें स्थायी कमीशन में शामिल क्यों नहीं किया गया.

‘आपको अपना अहं त्यागना होगा’

पीठ ने स्पष्ट किया कि संबंधित अधिकारियों को अपने अहंकार को त्यागना होगा. उन्होंने सवाल उठाया कि कैसे यह कहा जा सकता है कि सभी पहलुओं में व्यक्ति उपयुक्त हैं, फिर भी उन्हें स्थायी कमीशन में नहीं लिया जा सकता. अदालत ने यह भी कहा कि इस मामले पर अलग से विचार किया जाना चाहिए, और यह जानने की इच्छा जताई कि अब तक इस पर विचार क्यों नहीं किया गया. मामले को ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद आदेश के लिए सूचीबद्ध किया गया है, और शीर्ष अदालत द्वारा 2024 में पारित समीक्षा याचिका का निर्णय निर्णायक चरण में पहुंच गया है.

क्‍यों आया कोर्ट का कड़ा रुख

सुप्रीम कोर्ट ने नौसेना की लापरवाही पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है. 2024 में कोर्ट ने पहले ही नेवी को एक नया चयन बोर्ड बनाने का निर्देश दिया था, लेकिन नौसेना ने इस आदेश का पालन नहीं किया. मंगलवार को कोर्ट ने कहा कि नेवी को अपने अहंकार को त्यागना होगा. कोर्ट का स्पष्ट मत है कि सीमा चौधरी के मामले पर अलग से विचार किया जाना चाहिए, लेकिन अब तक ऐसा क्यों नहीं हुआ, यह सवाल उठता है. कोर्ट ने नौसेना को चेतावनी दी है कि यदि वह एक सप्ताह के भीतर आदेश का पालन नहीं करती, तो वह और भी कठोर कदम उठाने के लिए बाध्य होगी.

कौन हैं सीमा चौधरी, क्या है यह पूरा मामला

सीमा चौधरी को 6 अगस्त 2007 को भारतीय नौसेना की जज एडवोकेट जनरल (JAG) ब्रांच में एसएससी अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया. उन्हें 2009 में लेफ्टिनेंट और 2012 में लेफ्टिनेंट कमांडर के पद पर पदोन्नति मिली. इसके बाद, 2016 और 2018 में उन्हें दो-दो साल का सेवा विस्तार प्रदान किया गया. हालाँकि, 5 अगस्त 2020 को उन्हें सूचित किया गया कि 5 अगस्त 2021 से उनकी सेवा समाप्त मानी जाएगी.

सीमा ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जिसमें उन्होंने स्थायी कमीशन न मिलने का हवाला दिया, जबकि वे सभी आवश्यक पात्रता मानदंडों को पूरा करती हैं. 26 फरवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने सीमा चौधरी की रिव्यू याचिका पर निर्णय देते हुए कहा कि उनका मामला स्वतंत्र रूप से विचारित किया जाना चाहिए.