अमृतांशी जोशी, भोपाल। विश्वभर के लगभग सभी सैक्टरों में पहुंच चुके आर्टिफिश्यिल इंटेलिजेंस अब चिकित्सा सुविधा में अब एंट्री हुई है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ओपीडी में आने वाले मरीजों से सवाल करेगा। इसके आधार पर उन्हें भविष्य में किन बीमारियों से खतरा है, इसका अनुमान भी लगाया जाएगा। इसके साथ ही भोपाल और इंदौर के सरकारी मेडिकल कॉलेजों से वेलनेस कियोस्क सॉफ्टवेयर की शुरुआत अस्पतालों में होगी।
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मिली जानकारी के अनुसार चिकित्सा शिक्षा विभाग से कमिश्नर मेडिकल एजुकेशन (सीएमई) और कार्किनोस हेल्थकेयर के बीच एमओयू हुआ है। वहीं आइ बेस्ड सॉफ्टवेयर से मरीजों में रिस्क असेसमेंट करने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू की जाएगी। इसके साथ ही आने वाले समय में व्यक्ति को कौन सी जटिल बीमारियों का ख़तरा है, इसकी रिपोर्ट पहले से ही तैयार कर इलाज की तैयारी कर ली जाएगी।
नॉलेज शेयरिंग मिशन के तहत स्पेशलिस्ट को भी इसमें जोड़ा जाएगा। कैंसर, मधुमेह, मेंटल हेल्थ के साथ अन्य बीमारियों के डेटा से जुड़ी हिस्ट्री को क्रॉस चेक करके काम किया जाएगा। बता दें कि, स्वास्थ्य के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर फोकस ग्रुप के हिस्से के रूप में आयुष मंत्रालय पारंपरिक चिकित्सा पर एक विषय समूह का नेतृत्व कर किया गया। आयुष मंत्रालय पारंपरिक चिकित्सा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की बेंचमार्किंग सुनिश्चित कर रहा है।
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