शब्बीर अहमद,भोपाल। मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में परिवारवाद को लेकर राजनीतिक दलों में सियासत जारी है। इसी कड़ी में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी ने गांव की सियासत से परिवारवाद को आजाद कर दिया है।
पार्टी की मानें तो अब गांव की पॉलिटक्स से ‘परिवारवाद’ की एंट्री होगी। दिग्गज नेताओं के बेटे-बहू ने पंचायत चुनाव में ताल ठोक दी है। पूर्व मुख्यमंत्री, मंत्री और बीजेपी विधायकों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। पहले चरण के पंचायत चुनाव में बड़े नेताओं की पत्नी, बहू और बेटे चुनावी मैदान में कूद गए हैं। इसी कड़ी में उमा भारती के भाई की बहू जिला पंचायत सदस्य की उम्मीदवार है। सतना में पूर्व विधायक जुगल किशोर बागरी के बेटे पुष्पराज बागरी ने भी नामांकन भर दिया है।
वन मंत्री विजय शाह के बेटे दिव्यादित्य शाह ने खंडवा जिला पंचायत से नामांकन भरा है। चाचौड़ा पूर्व विधायक ममता मीणा के पति रघुवीर सिंह मीणा ने पर्चा भर दिया है। टीकमगढ़ विधायक राकेश गिरी की दो बहनों ने जनपद पंचायत के लिए नामांकन किया है। पूर्व राज्यपाल रामनरेश यादव की पौत्र वधु रोशनी यादव निवाड़ी से चुनाव लड़ी रही है।
इधर नेता परिवारों के पंचायत चुनाव लड़ने पर बीजेपी बोली कि- देश में लोकतंत्र है सबको चुनाव लड़ने का हक है। पार्टी ने किसी को टिकट नहीं दिया है। लोकतंत्र के लिए खतरा वो पार्टी है जो परिवार से शुरू होती है और परिवार पर खत्म। बीजेपी अपने विचारों से समझौता नहीं करती। एक परिवार से 2 लोग चुनाव लड़े ये गलत नहीं है। पार्टियां जो परिवारवाद से ही शुरू होता परिवार पर खत्म ये गलत है।
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