गरियाबंद। विशेष अवसरों को यादगार बनाने अब तक 1150 से भी ज्यादा पौधा रोपण कर चुके स्वास्थ्य कर्मी ने आज सूर्य की पहली किरण के साथ बरगद का पौधा रोपण कर नए वर्ष को यादगार बनाया. उनके लगाए 700 से ज्यादा पौधे जिंदा है. गरियाबंद जिले के देवभोग सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सुपरवाइजर के पद पर पदस्थ रमेशचंद्र वर्मा ने इस साल की शुरुआत भी पौधे लगाकर किया. आज सूर्य के पहली किरण के साथ रमेशचंद्र वर्मा ने सितलीजोर के अनिरुद्ध साहू के निजी तलाब किनारे बरगद का पौधा लगाया. हमेशा की तरह पौधे की रखवाली की जिम्मेदारी निभाने जमीन मालिक अनिरुद्ध को शपथ भी दिलाई. पर्यावरण प्रेमी वर्मा 101 बरगद पेड़ लगाने का संकल्प लिए हुए हैं. अब तक वे 35 बरगद पेड़ लगा चुके हैं. इसमें 22 सुरक्षित है. Read More – CG NEWS : लगातार ड्यूटी से गायब रही महिला कर्मी पर एक्शन, शो कॉज नोटिस जारी

1150 से ज्यादा पेड़ लगा चुके, ज्यादातर जीवित

मूलतः मध्यप्रदेश के भिण्ड जिले के मेघपुरा के रहने वाले 55 वर्षीय रमेशचंद्र वर्मा की पोस्टिंग 1998 में स्वास्थ्य कार्यकर्ता के रूप में हुई. इलाके में हरियाली की कमी को देखते हुए उन्होंने 1998 से ही पौधा लगाना शुरू किया. रमेशचंद्र वर्मा पहला पौधा भी सितलीजोर के सार्वजनिक स्थल पर बरगद का पेड़ लगा कर खुद उसकी देख-रेख करते रहे. आज पेड़ बड़ा हो चुका है और पौधे लगाने का मुहिम अब भी जारी है. रमेशचंद्र खुद का हो या अपने बेटो का जन्मदिन, नए वर्ष हो या राष्ट्रीय पर्व हर खास दिनों को यादगार बनाने पौध रोपन करते हैं. वे खुटगांव, करचिया, टिकरापारा, फुंडेलपारा, चिचिया, महुलकोट, भतराबहली,मगररोडा, धौरकोट, सीनापली समेत ब्लॉक के 20 से ज्यादा गांव में अब तक आंवला के 950, कटहल के 200, गुड़हल के 4, आम के 4, अशोक के 6, कन्हेर के 2 और बरगद के 35 पेड़ लगा चुके हैं.

आस्था और जरूरत से जोड़ा, जीवित रहने लगे पौधे

वर्मा ने बताया कि लोगों की मानसिकता को समझने में 5 साल लग गए, इसलिए धार्मिक महत्व के पेड़ों को लगाकर उनकी जरूरत पूरी करना शुरू किया. आंगन में आंवला, मंदिरों में फूलदार और सार्वजनिक स्थल में छायादार पौधा लगाया. लगाए गए
हर पौधे का रिकार्ड भी रखने लगे. सुरक्षा के लिए शपथ दिलाना और सतत संपर्क कर उनकी मॉनिटरिंग शुरू किया तो परिणाम भी सुखद निकल कर आया. आज क्षेत्र में वर्मा को स्वास्थ्य कर्मी के नाम के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए जरूरी पर्यावरण रक्षक के नाम से भी जानने लगे हैं.