रुद्रप्रयाग. केदरानाथ धाम में इन दिनों कुछ ऐसा हो रहा है जिसने पर्यावरणविदों को चिंता में डाल दिया है. चिंता होना स्वाभाविक भी है क्योंकि दिसंबर का महीना खत्म होने वाला है लेकिन अब तक धाम में या उसके आसपास अब तक बर्फ नहीं जमी है. मंदिर परिसर, आसपास के क्षेत्र, आसपास के पहाड़ों में कहीं भी बर्फबारी नहीं हो रही है. जबकि ठंड का प्रकोप बराबर बना हुआ है. ठंड में कोई कमी नहीं है. फिर भी बर्फबारी ना होने से विशेषज्ञ चिंता में पड़ गए हैं.

क्षेत्र में ठंड की बात करें तो रात में यहां का पारा माइनस 10 डिग्री तक लुढ़क जाता है. आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि धाम में गलाने वाली ठंड पड़ रही होगी. धाम में काम करने वाले मजदूरों को भी काम करने के दौरान मौसम की मार झेलनी पड़ रही है. ठंड के चलते उन्हें में भी काम करने में कठिनाइयों का समाना करना पड़ रहा है. नतीजन कुछ मजदूर नीचे सोनप्रयाग लौट रहे हैं.
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बर्फबारी ना होना चिंता का विषय इसलिए भी है क्योंकि पिछले साल इसी समय धाम और उसके आसपास करीब 5 फीट तक बर्फ जमी हुई थी. लेकिन इस बार इतना तो दूर परत तक नहीं जम पा रही है.
गंभीर हो सकते हैं परिणाम, सरकार को करना होगा विचार- पर्यावरणविद
पर्यावरणविदों का कहना है कि इस बार दिसंबर का महीना खत्म होने को है और अभी तक धाम में बर्फ नहीं गिरी है. बर्फ विहीन पहाड़ियों ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है. हिमालय के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. आने वाले समय में इसके और भी अधिक गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे. हिमालय क्षेत्र में अंधाधुंध निर्माण कार्य होने से ऐसी स्थिति देखने को मिल रही है, जिसको लेकर सरकार और पर्यावरण मंत्रालय को धरातल पर कार्य करने की जरूरत है.
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