गौरव जैन, गौरेला पेण्ड्रा मरवाही. मध्यप्रदेश में फर्जी बिल से करोड़ों की जीएसटी चोरी के मामले में भोपाल की EOW टीम ने छत्तीसगढ़ के गौरेला पेण्ड्रा मरवाही में छापेमार कार्रवाई की है. EOW ने कोयला कारोबारी शेख जफर को गिरफ्तार किया है. बताया जा रहा कि भोपाल EOW में दर्ज जीएसटी फर्जीवाड़ा मामले में यह कार्रवाई हुई है. बता दें कि 25 जून को ईओडब्ल्यू ने फर्जी कंपनी बनाकर जीएसटी क्लेम के नाम पर 34 करोड़ से ज्यादा का घोटाला करने वाले मास्टरमाइंड जबलपुर निवासी विनोद कुमार सहाय को झारखंड के रांची से गिरफ्तार किया था. शेख जफर भी विनोद सहाय के लिए काम करता था.

ईओडब्ल्यू की पूछताछ में कारोबारी शेख जफर ने बड़ा खुलासा किया है. उसने बताया कि विनोद सहाय की फर्मों से वह सिर्फ कोयले का व्यवसाय करता था. शेख जफर के नाम पर अम्बर कोल डिपो एवं अनम ट्रेडर्स है, जो रानीताल जबलपुर के पते पर रजिस्टर्ड है. अनम ट्रेडर्स ने अभिजीत ट्रेडर्स से व्यवसाय किया. अम्बर कोल ने मेसर्स मां रेवा ट्रेडर्स एवं नमामि ट्रेडर्स से व्यवसाय किया है. इसके अतिरिक्त शेख जफर की कंपनियों ने विनोद सहाय की कंपनी जगदम्बा कोल केरियर और महामाया ट्रेडर्स से भी व्यवसाय किया है.

शेख जफर ने बताया कि विनोद सहाय की फर्म जेएमकेडी कोल से वह भटिया कोल, बिलासपुर, खालसा कोल, बिलासपुर, आर्यान कोल वॉश्री, जैन कोल, वॉशरी अनूपपुर, हरिजिका कोल, रायगढ, प्रकाश इंडस्ट्रीज लिमिटेड चापा, नेशनल फर्म के प्रोपराइटर अक्कू जेठानी, एमएसपी पॉवर प्लांट रायगढ, बीएस सिंघल पॉवर प्लांट रायगढ़ को फर्जी बिल देता था. उक्त बिल देने के लिए राजा सरावगी बुढार, अशोक चतुर्वेदी बुढार, राजेश कोटवानी बिलासपुर से कोयला लेना दिखाता था. उक्त कोल का पूरा काम उनके माध्यम से होता था.

जानकारी के मुताबिक, शेख जफर का मरवाही के पास रूमगा मटियाढांड में कोयला डंपिंग यार्ड है. वह चोरी के कोयले को छत्तीसगढ़ से मध्यप्रदेश और मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ में खपाने का काम करता था. साथ ही फर्जी बिलिंग कर जीएसटी की भारी हेराफेरी की.

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मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में फैला है पूरा नेटवर्क

EOW की जांच में पता चला है कि इस फर्जीवाड़े को अंजाम देने के लिए विनोद सहाय ने 23 फर्जी फर्मों और 150 से अधिक बैंक खातों का इस्तेमाल किया है. यह पूरा नेटवर्क मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के कई शहरों में फैला हुआ है. जांच एजेंसी के अनुसार, आरोपी विनोद सहाय जबलपुर जिले के ग्राम टिबरी का मूल निवासी है. उसने वर्ष 2009 से फर्जी आईडी और नामों जैसे नीलू सोनकर और एनके खरे का उपयोग करते हुए फर्जी फर्में खड़ी कीं. इन कंपनियों के नाम पर बोगस बिल बनाकर खरीदार कंपनियों को फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (फेक आईटीसी) दिलाया गया. 512 करोड़ रुपए की इनवॉयसिंग के नाम पर न कोई माल खरीदा गया न ही बेचा गया. न कोई स्टॉक मिला, न गोदाम, न ही परिवहन दस्तावेज मिले. ये लेन-देन केवल कागजों पर दर्शाए गए थे.

लोन दिलाने के नाम पर लोगों से लिए दस्तावेज

आरोपी विनोद कुमार सहाय ने 2019-20 में फर्जीवाड़ा शुरू किया. खुद को एनके खरे बताकर लोन दिलाने के बहाने लोगों से दस्तावेज लिए. जीएसटी रजिस्ट्रेशन के नाम पर पैन, आधार, फोटो, बैंक और जमीन से जुड़े कागज लेकर फर्जी फर्में बनाई. लॉगिन आईडी, पासवर्ड और मोबाइल अपने पास रखे, ईमेल खुद का डाला. फर्म केवल कागजों पर थीं. फर्जी बिक्री दिखाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट जनरेट किया और उसका लाभ अन्य व्यापारियों को दिलाया.

एक दर्जन से ज्यादा बना रखी थी फर्जी फर्म

विनोद सहाय ने मां नर्मदा ट्रेडर्स, नमामि ट्रेडर्स, मां रेवा ट्रेडर्स, अभिजीत ट्रेडर्स, केडी सेल्स कॉरपोरेशन, माइक एंटरप्राइजेज, दिलीप ट्रेडर्स, अंकिता स्टील एंड कोल , जगदंबा कोल कैरियर, कोराज टेक्निक्स, महामाया ट्रेडर्स, अंबर कोल डिपो, अनम ट्रेडर्स के नाम पर करीब एक दर्जन से ज्यादा फर्जी कंपनी बनाई थी. उनके द्वारा सामान सप्लाई के नाम पर जीएसटी भरना बताकर 34 करोड़ की जीएसटी क्लेम की गई.

कई फर्जी कंपनी का डायरेक्टर था विनोद सहाय

आरोपी विनोद कुमार सहाय ने आधा दर्जन ऐसी फर्जी फर्म भी बनाकर रखी थी, जिसमें वह खुद डायरेक्टर था. इनमें सिटरोन मिनिरल्स प्राइवेट लिमिटेड, गेरीसन कॉल प्राइवेट लिमिटेड, आर्या कोल ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड, वी के मिनिरल्स प्राइवेट लिमिटेड और जेएमएसडी प्राइवेट लिमिटेड जैसी कंपनियां शामिल हैं. इन्हीं फर्जी कंपनियों के जरिए वह जीएसटी भरने की बात कर सरकार को चूना लगा रहा था.