लॉन्ग टर्म निवेश (long term investment) के लिए भारतीय बाजार पॉजिटिव बने हुए हैं. भारतीय अर्थव्यवस्था और यहां के कॉरपोरेट में तरक्की की बेहतरीन संभावनाएं हैं. स्थायी-मजबूत सरकार और नीतियों का दौर है. साथ ही ग्लोबल मोर्चे पर पहले से काफी बेहतर स्थिति है. एसे में अगर आप भी लॉन्ग टर्म निवेश (long term investment) करना चाहते हैं तो यह आपके लिए सही समय साबित हो सकता है.
भारतीय शेयर बाजार (Indian stock market) में करीब 18 महीने तक की तेजी के बाद पिछले एक साल में मिलाजुला रुख देखा गया. बाजार उतार-चढ़ाव वाला रहा है, लेकिन इसके लिए यह कोई असामान्य बात नहीं है. एक एसेट क्लास के रूप में देखें तो स्टॉक (Stocks) में जोखिम ज्यादा रहता है. लेकिन इसमें एक अच्छी बात यह है कि जितनी लंबी अवधि तक निवेश बनाए रहें, उतार-चढ़ाव का असर सीमित होता जाता है. इसलिए लॉन्ग टर्म में इक्विटी सबसे बेहतर एसेट क्लास हैं.
ये कहलाता है लॉन्ग टर्म इंवेस्टमेंट
भारत सरकार का राजस्व विभाग कहता है कि टैक्स देनदारी तय करने के हिसाब से लिस्टेड स्टॉक और इक्विटी म्यूचुअल फंड (Stock and Equity Mutual Funds) में निवेश लॉन्ग टर्म निवेश है. अगर उन्हें एक साल से अधिक रखा जाए. दूसरे निवेश के लिए इसकी सीमा तीन साल है. यह कर देनदारी के हिसाब से अलग हो सकता है. लेकिन निवेश के हिसाब से सही परिभाषा नहीं है. शेयरों के हिसाब से एक साल बहुत कम समय है.
वास्तव में लॉन्ग टर्म क्या है?
इसका जवाब ढूंढने के लिए दो बेसिक जवाब पर ध्यान देना जरूरी है. शेयरों में निवेश सिर्फ लॉन्ग टर्म के लिए ही क्यों किया जाना चाहिए? उत्तर है- उतार-चढ़ाव. बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) का इस समय पांच साल का रिटर्न है 12.77 फीसदी सालाना या 79 फीसदी इकठ्ठा. अगर पांच सालों का विस्तृत रिटर्न देखें तो यह 9%, 41.8%, -8.9%, 16.2% और 9.5% आता है. अब सवाल आएगा कि शेयर में निवेश लंबी अवधि के लिए क्यों होना चाहिए, तो इसका सही जवाब है कि इसमें रिटर्न बेहतरीन है. लेकिन हर साल के आंकड़े बिलकुल अलग हैं. अगर इनमें निवेश छोटी अवधि के लिए किया जाय तो हो सकता है कि आप कमजोरी वाले चक्र में फंस जाएं. इसमें आपको कम रिटर्न या नुकसान भी हो सकता है.
इतना समय देना जरुरी
इसका मतलब ये कि लॉन्ग टर्म का मतलब पांच साल या उससे ज्यादा है. यही आपके लिए जवाब है. अगर आप शेयर में निवेश करते हैं तो आपके लिए लंबी अवधि के निवेश का मतलब पांच या उससे ज्यादा साल तक निवेश को बनाये रखना है. इक्विटी कैश ट्रेडिंग (equity cash trading) के अलावा ब्रोकरेज हाउस कई तरह के प्रॉडक्ट्स ऑफर कर रहे हैं. इसका मकसद शेयरों में इन्वेस्टर्स की दिलचस्पी जगाना है. सरकार के रिफॉर्म्स संबंधी ऐलान से मार्केट सेंटिमेंट सुधरा है. ऐसे में आने वाले दिनों में इक्विटी प्रॉडक्ट्स की मांग बढ़ने की उम्मीद है. ब्रोकरेज हाउसों की तरफ से जो इक्विटी प्रॉडक्ट्स ऑफर किए जा रहे हैं कि उनमें एसआईपी (SIP), गुड टिल कैंसल्ड (GTC) मार्जिन, बाय टुडे सेल टुमॉरो (BTST) और इंट्रा डे ट्रेडिंग शामिल हैं.