दिल्ली. कोरोना वायरस के संक्रमण से पूरी दुनिया जूझ रही है. हर रोज कोरोना का आकड़ा डरा रहा है. इसी बीच ब्रिटेन में हुए एक शोध से पता चला है कि संक्रमित व्यक्ति के नाक से निकलने वाली पानी की एक बूंद के संपर्क में आने से आप कोरोना की चपेट में आ सकते हैं.
बता दें कि शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि यह इस तरह का पहला शोध है, जो व्यक्ति के सार्स-कोव-2 वायरस के संपर्क में आने से लेकर संक्रमण से उबरने तक के सफर में कोविड-19 की स्थिति का विस्तृत विश्लेषण करता है. उन्होंने पाया कि वायरस के संपर्क में आने के औसतन दो दिन बाद लक्षण बहुत तेजी से उभरने लगते हैं. शोधकर्ताओं ने यह भी देखा कि संक्रमण गले से शुरू होता है और लगभग पांच दिन बाद जब यह चरम पर पहुंच जाता है.
वहीं, शोध से यह भी सामने आया है कि लैटरल फ्लो टेस्ट (एलएफटी) इस बात के विश्वसनीय संकेतक हैं कि मरीज में वायरस मौजूद है या नहीं? और वह अन्य लोगों में वायरस का प्रसार करने में सक्षम है या नहीं? शोध के नतीजे ‘नेचर जर्नल’ के प्री-प्रिंट सर्वर पर प्रकाशित किए गए हैं.
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शोध में 36 स्वस्थ युवा प्रतिभागियों को शामिल किया गया
लंदन स्थित रॉयल फ्री अस्पताल में हुए इस शोध में 36 स्वस्थ युवा प्रतिभागियों को शामिल किया गया, जिनमें वायरस के खिलाफ कोई प्रतिरोधक क्षमता नहीं थी. सभी प्रतिभागियों को वायरस की न्यूनतम मात्रा के संपर्क में लाया गया, जो आमतौर पर संक्रमण के चरम पर होने के दौरान नाक से निकलने वाली पानी की एक सूक्ष्म बूंद में मौजूद हो सकती है.
शोध दल में शामिल इंपीरियल कॉलेज के प्रोफेसर क्रिस्टोफर चिउ ने बताया कि नाक से निकलने वाली पानी की एक सूक्ष्म बूंद भी व्यक्ति को संक्रमित करने के लिए काफी है. हालांकि, ऐसी स्थिति में मरीज के गंभीर संक्रमण का शिकार होने की आशंका न के बराबर रहती है. चिउ के मुताबिक, यह अध्ययन कोविड-19 के इलाज के लिए नए टीके और दवाओं के विकास में मदद करेगा.
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