रोहित कश्यप, मुंगेली। दो जिलों के बॉर्डर मुंगेली-बिलासपुर मुख्य मार्ग पर बना बरेला पुल अब एक रास्ता नहीं, बल्कि मौत की सीढ़ी बन चुकी है। लाखों रुपये खर्च कर दो महीने पहले हुई मरम्मत अब महज मजाक लग रही है। लल्लूराम डॉट कॉम ने जब इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया तो अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की नींद टूटी। सवाल उठता है कि अगर लाखों की लागत से मरम्मत हुई थी तो आज फिर वही गड्ढे, वही दरारें, वही जलभराव क्यों? क्या ये मरम्मत सिर्फ फाइलों में हुई थी? क्या जनता की जान की कीमत कुछ ‘पेचवर्क’ भर है?


लल्लूराम की खबर का असर
लल्लूराम डॉट कॉम की खबर को कलेक्टर कुंदन कुमार और विधायक पुन्नूलाल मोहले ने गंभीरता से लेते हुए संज्ञान लिया है।मुंगेली कलेक्टर कुंदन कुमार ने कहा, “मुझे मीडिया से यह जानकारी मिली। यह पुल दो जिलों की सीमा पर स्थित है, मुझे लगता है इसी वजह से नवनिर्माण की प्रक्रिया रुकी हुई है। चूंकि यह मार्ग NH में आता है, इसलिए NH के अधिकारियों से बातचीत कर समस्या का स्थायी समाधान किया जाएगा।”
विधायक पुन्नूलाल मोहले भी आए मैदान में
इलाके के विधायक पुन्नूलाल मोहले ने भी लल्लूराम की खबर पर संज्ञान लेते हुए कहा, “मैंने NH के अधिकारियों से इस पुल को लेकर बात की है। जनता की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं होगा। जल्द ठोस कार्रवाई की जाएगी। इस समस्या का शीघ्र निराकरण किया जाएगा।”

पुल नहीं, हर रोज का संघर्ष
स्थानीय लोगों का कहना है कि हम हर दिन जान हथेली पर लेकर इस पुल को पार करते हैं। हल्की बारिश में ये पुल तालाब बन जाता है और अफसर आंख मूंदे बैठे रहते हैं। पता ही नहीं चलता कि पुल के ऊपर गड्ढे भी हैं, क्योंकि गड्ढों में पानी भर जाता है।जो दुर्घटना का कारण बनता है।
सीधा सवाल – क्या वाकई कुछ बदलेगा?
जनता को दिए गए जवाबों से फिलहाल सिर्फ उम्मीद बंधी है, लेकिन असली समाधान तो तब दिखेगा जब पुल वाकई मजबूत और सुरक्षित बनेगा। लल्लूराम डॉट कॉम आगे भी इस मामले की निगरानी करता रहेगा, ताकि सिर्फ बयान नहीं, बदलाव दिखे।
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