पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। रकम मंजूर होने के बाद भी साल भर में जर्जर स्कूल भवनों की मरम्मत नहीं हो पाया, लिहाजा इन जर्जर भवनों में संचालित स्कूल के बच्चों एक बार फिर से वैकल्पिक स्थानों पर संचालित कक्षाओं में पढ़ाई करेंगे. इसे भी पढ़ें : AFG vs AUS, T20 World Cup 2024: अफगानिस्तान ने ऑस्ट्रेलिया को हराकर किया बड़ा उलटफेर, सेमीफाइनल की दौड़ में आगे

मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना के तहत पूर्ववर्ती सरकार ने जिले के 1413 स्कूलों के मरम्मत के लिए 40 करोड़ रुपए की मंजूरी दी थी. मरम्मत की जवाबदारी आरईएस विभाग की थी. पिछला सत्र शुरू होने से पहले मई माह में टेंडर की प्रक्रिया पूरी कर काम भी शुरू कर दिया गया, लेकिन सालभर बीतने के बाद भी आधे से भी कम स्कूल भवनों की मरम्मत हो पाई है. शिक्षा विभाग से आंकड़े के मुताबिक, 1413 कार्यों में से 537 ही पूरे हो पाए हैं. 637 स्कूल भवनों का काम अब भी जारी है, जबकि 228 में काम शुरू नहीं हो पाया है, और 11 काम के तो टेंडर ही जारी नहीं हुआ है.

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थर्ड पार्टी मूल्यांकन ने बढ़ाई एजेंसी की परेशानी

विभागीय रिकार्ड के मुताबिक, 683 कार्य पूरे हो गए हैं, जिसका भुगतान 30.86 करोड़ निर्माण एजेंसी को किया जाना है, लेकिन 20.94 करोड़ ही हुआ. मरम्मत की रकम शिक्षा विभाग के खाते में है, काम में मनमानी न हो इसलिए शासन ने दूसरे तकनीकी विभाग से क्रोस मूल्यांकन के बाद ही भुगतान करने का आदेश जारी किया हुआ है, लिहाजा पूर्ण हो चुके जिन काम का थर्ड पार्टी मूल्यांकन हुआ है, उन्हीं का पूरा भुगतान हुआ. अधूरे भुगतान को लेकर एजेंसियों ने आर्थिक व मानसिक तंगी का हवाला देकर काम रोक दिया है.

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मरम्मत में मलाई की आस से ज्यादा काम लिया

स्कूल मरम्मत की योजना आई तो निर्माण एजेंसी काम लेने कूद पड़े. काम की तकनीकी पहलू और भौगोलिक आंकलन के बगैर एक एक एजेंसी ने 30 से 50 काम को हथिया लिया. राजनीतिक रसूख और खुल के कमीशनबाजी की चर्चा थी. जैसे ही काम कराने फील्ड पर उतरे तो काम में ज्यादा मलाई की आस की कल्पना करने वाले एजेंसियों को तगड़ा झटका लगा. लिहाजा 428 काम को शुरू ही नहीं कर पाए. काम शुरू हुआ, पूर्ण भुगतान के मापदंड भी बदल दिए गए, फिर सरकार बदली तो एजेंसियों ने भी हाथ खड़े कर दिए. जो शुरू हुए थे, उनमें से भी 250 काम पिछले कई माह से बंद पड़े हैं.

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असमंजस में आरईएस

पूर्ण हो चुके काम के एवज में एजेंसी को भुगतान करने की हो या फिर अधूरे काम को जल्द पूरा कराने का हो, दोनों का दबाव आरइएस पर है. काम पूरा करने वाले हो या फिर अधूरा छोड़ने वाले, ज्यादातर एजेंसी के नाम इन दोनों सूची में है. मामले को लेकर आरईएस विभाग के ईई बीएस पैकरा ने कहा कि 872 कार्य में हमने 683 कार्य पूर्ण कर लिए है, 179 कार्य प्रगति पर हैं, जल्द ही पूरा करा लिए जाएगा. 8 से 10 काम ही ऐसे हैं, जिन्हें रिटेंडर कराया जाएगा. काम नहीं कर पाने वाले एजेंसी से आवश्यक कार्यवाही भी करेंगे.