वीरेंद्र गहवई, बिलासपुर। धान बेचने के बाद भी सहकारी समिति ने किसान को भुगतान नहीं किया था. दस साल कानूनी लड़ाई के बाद किसान को न्याय मिल सका. हाईकोर्ट के आदेश के बाद समिति ने 3 लाख 45 हजार का चेक प्रदान किया.
मुंगेली जिले के सारधा निवासी तोपसिंह राठौर ने वर्ष 2014 में सेवा सहकारी समिति लिमिटेड लोरमी में उत्तम क्वालिटी का 525 बोरा धान तौल कराकर जमा कराया. इसके बाद भी कई साल तक इन्हें भुगतान के लिए भटकाया जाता रहा. 2.08.2019 को उप पंजीयक सहकारी समिति मुंगेली ने पत्र द्वारा सेवा सहकारी समिति मर्यादित लोरमी के अध्यक्ष/प्रबंधक को मामले की जांच कर भुगतान करने के निर्देश दिए थे. इसके बाद भी कोई हल नहीं निकला, तो उन्होंने हाईकोर्ट की शरण ली. मामले की सुनवाई जस्टिस राकेश मोहन पाण्डेय की सिंगल बेंच में हुई.
मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने सेवा सहकारी समिति लिमिटेड लोरमी को निर्देशित किया कि, वह इस आदेश की मिलने के 15 दिनों के भीतर बोनस के साथ वर्ष 2014 में निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य के अनुसार अच्छी गुणवत्ता वाले धान की 525 बोरियों का भुगतान करें. निर्धारित अवधि बीतने पर भी कोई भुगतान नहीं हुआ, तो किसान ने दोबारा अपने अधिवक्ता के जरिये अवमाना याचिका लगाई. जस्टिस एन के व्यास की बेंच में सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट को बताया गया, कि याचिकाकर्ता को 3 लाख 45 हजार 500 रूपये चेक के जरिए भुगतान किया जा चुका है. कोर्ट ने आदेश दिया, कि समिति से मिले चेक से भुगतान न होने पर वह दोबारा हाईकोर्ट आ सकता है.
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