रायपुर– केंद्र शासन के पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की “फारेस्ट एडवाईजरी कमेटी” ने छत्तीसगढ़ के सरगुजा में स्थित 2100 एकड़ के परसा ओपनकास्ट माईन का स्टेज वन का फारेस्ट क्लीयरेंस 15 जनवरी 2019 को हुई बैठक में “राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड” को जारी कर दिया है. 15 जनवरी को हुई बैठक में छत्तीसगढ़ शासन के अतिरिक्त मुख्य सचिव, वन विभाग द्वारा परसा ओपन कास्ट माईन आबंटन पर आपत्ति दर्ज करवाते हुए सुझाव दिया था कि एक बड़ी कमेटी द्वारा परसा कोल क्षेत्र का पुनः निरीक्षण करवाया जाए, लेकिन केन्द्र की फारेस्ट ऐडवाईजरी कमेटी ने छत्तीसगढ़ के अतिरिक्त मुख्य सचिव के सुझाव को यह कहकर खारिज कर दिया की कमेटी पहले ही एक बार दौरा कर चुकी है इसलिये क्षेत्र का पुनः निरीक्षण की आवश्कता नहीं है.

नितिन सिंघवी, वन्य जीव प्रेमी

गौरतलब है कि पूर्व में बनाई गई सब कमेटी द्वारा ताबड़तोड बनाये गये सरगुजा के दौरे में छत्तीसगढ़ का कोई अधिकारी हिस्सा नहीं ले सका था. आबंटित किया क्षेत्र लगभग 1600 फुटबाल मैदान के बराबर है जिसके चारों तरफ में भरपूर जैव विविधता के गहन वन है. उपरोक्त तथ्यों की जानकारी एक पत्र के माध्यम से छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री तथा छत्तीसगढ़ के वनमंत्री को देते हुए रायपुर निवासी नितिन सिंघवी ने याद दिलाया कि सरगुजा, जहां परसा कोल ब्लाक है, हाथियों का विचरण क्षेत्र है. कांग्रेस ने चुनावी घोषणा पत्र में वादा किया है कि उक्त क्षेत्र को हाथी कारीडोर बनाया जाएगा. अगर परसा ओपन कास्ट माईनिंग की जाती है तो मानव-हाथी द्वन्द बढेगा तथा मानव-हाथी मृत्यु दर बढे़गी. पत्र में मुख्यमंत्री से निवेदन किया गया है कि वे छत्तीसगढ़ के जंगलों और वन्यप्राणी को बचाने के लिये केन्द्र सरकार द्वारा जारी क्लीयरेंस को निरस्त करवायें.

गौरतलब है कि उक्त क्षेत्र जैव विविधता होने के कारण, 2009 में “नो-गो” ऐरिया घोषित किया गया था. पत्र में यह भी बताया गया कि जनवरी 2018 में पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन की एक अन्य “ऐक्सपर्ट एैप्राईजल कमेटी” ने परसा ओपन कास्ट माइनिंग के लिये छत्तीसगढ़ के राज्य वन्यजीव बोर्ड की अनुशंसा चाही थी. जिसके जवाब में छत्तीसगढ़ के तत्कालीन प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) ने बिना राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक हुये परसा ओपन कास्ट माईनिंग को राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को देने के लिये मई 2018 में अनापत्ति जारी कर दी. सिंघवी ने जांच की मांग की कि जब राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक ही नहीं हुई तो प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) ने कोल माईन देने पर अनापत्ति क्यों जारी की ?