दिल्ली में आज दोपहर क्लाउड सीडिंग के कई ट्रायल किए गए. लेकिन रेखा सरकार का यह ट्रायल फिलहाल सवालों के घेरे में है. दो घंटे बीत जाने के बाद भी बारिश नहीं हुई है, जिस पर आप (AAP) ने दिल्ली सरकार पर निशाना साधा है. AAP ने इसे आर्टिफिशियल रेन के नाम पर फर्जीवाड़ा बताया है.

‘देवता इंद्र करेंगे वर्षा, सरकार दिखाएगी खर्चा’

AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने वीडियो बनाकर दिल्ली सरकार के इस ट्रायल पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने लिखा, ‘बारिश में भी फर्ज़ीवाड़ा, कृत्रिम वर्षा का कोई नामुनिशान नहीं दिख रहा है. इन्होंने सोचा होगा देवता इंद्र करेंगे वर्षा. सरकार दिखाएगी खर्चा.’ सौरभ भारद्वाज ने कहा, ‘इंद्र देवता भी सरकार का साथ नहीं दे रहे. कल शाम को थोड़ी बहुत बारिश हो भी रही थी लेकिन अब तो जो थोड़े बहुत बादल दिख रहे थे, वो भी चले गए.’

दिल्ली इलाकों में हुआ ट्रायल

बता दें कि राजधानी दिल्ली में आज क्लाउड सीडिंग का सफल ट्रायल किया गया. अब इसके तीन ट्रायल हो चुके हैं. इसके लिए IIT कानपुर के Cessna एयरक्राफ्ट ने मेरठ से उड़ान भरी और खेकरा, बुराड़ी, नार्थ करोल बाग, मयूर विहार, सड़कपुर और भोजपुर जैसे इलाकों में क्लाउड सीडिंग का ट्रायल किया. इस दौरान पायरो तकनीक का उपयोग करते हुए 8 क्लाउड सीडिंग फ्लेयर्स छोड़े गए.

ली जा रही IIT कानपुर के वैज्ञानिकों की मदद

क्लाउड सीडिंग प्रोजेक्ट में IIT कानपुर के वैज्ञानिकों की भी मदद ली जा रही है. IIT कानपुर पहले भी इस तकनीक पर काम कर चुका है और उसके वैज्ञानिक दिल्ली सरकार को तकनीकी सलाह दे रहे हैं. सरकार को उम्मीद है कि इस पहल से न केवल दिल्ली की हवा कुछ साफ होगी, बल्कि नागरिकों को प्रदूषण से थोड़ी राहत भी मिलेगी. यह कदम राजधानी को स्वच्छ और सांस लेने लायक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयोग माना जा रहा है.

रेखा गुप्ता ने पिछले हफ्ते कृत्रिम बारिश की बात कही थी

पिछले हफ्ते दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा था कि भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने 28 अक्टूबर से 30 अक्टूबर के बीच उपयुक्त बादल बनने की संभावना का संकेत दिया है। रेखा गुप्ता ने अपने सोशल मीडिया हैंडल ‘एक्स’ पर एक पोस्ट करते हुए लिखा कि अगर परिस्थितियां अनुकूल रहीं तो दिल्ली में 29 अक्टूबर को पहली कृत्रिम बारिश हो सकती है।

बता दें कि दिल्ली सरकार ने 25 सितंबर को आईआईटी कानपुर के साथ कृत्रिम वर्षा के पांच परीक्षण करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए थे जिनकी सभी योजनाएं उत्तर-पश्चिम दिल्ली में बनाई गई हैं।

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