रायपुर। भगवान शिव के अवतार कहे जाने वाले भगवान पशुपति की पूरी दुनिया में पूजा होती है, खासकर नेपाल में. लोगों की परेशानी हरने वाले, मनोकामना पूर्ण करने वाले पशुपतिनाथ के दुनिया में गिने-चुने मंदिर हैं. इनमें से नेपाल की राजधानी काठमांडू स्थित भगवान पशुपतिनाथ के अलावा मध्यप्रदेश के मंदसौर में मंदिर है. इसके अलावा एक मंदिर छत्तीसगढ़ के दुर्ग शहर में कातुलबोर्ड में भी है.

नेपाली पंडित करते हैं पूजा

नेपाल की ही तर्ज पर दुर्ग शहर के कातुलबोर्ड वार्ड स्थित नेपाली बस्ती में भी भगवान पशुपतिनाथ का मन्दिर है. यहां हर सोमवार को शिवभक्त दर्शन के लिए आते हैं. भगवान शिव के पवित्र माह सावन और शिवरात्रि पर्व पर यहां श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है.

चर्तुमुखी भगवान शिव की ढाई फीट ऊंची प्रतिमा

मंदिर के पुजारी ने बताया कि नेपाली समुदाय द्वारा बनाए मंदिर में अर्चाविग्रह चर्तुमुखी भगवान शिव की ढाई फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित है. भगवान शिव की केदारनाथ, काशी विश्वनाथ और पशुपतिनाथ – इन तीन जगहों में अर्चाविग्रह (स्वयं मूर्त) स्वरूप में पूजा होती है. अन्य स्थानों पर भगवान द्वादश ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजे जाते हैं. इसी तरह यहां भी भगवान पशुपतिनाथ को अर्चाविग्रह रूप में विराजमान किया है. यहां पर शिवलिंग नहीं है.

प्रदेश का एकमात्र पशुपतिनाथ मंदिर

भिलाई स्टील प्लांट में नौकरी करने आए नेपाली समाज के लोगों में शुरू में एकजुटता नहीं थी. इसी बीच खुर्सीपार में एक नेपाली नागा बाबा आए, उन्हें जब यह समस्या बताई तो उन्होंने मंदिर निर्माण का संकल्प दिलाया. वर्ष 1974 में मंदिर निर्माण का संकल्प लिया गया, लेकिन पैसे का अभाव बना रहा.

आखिरकार समाज के लोगों से पाई-पाई जोड़कर 1989 में मंदिर निर्माण शुरू किया गया, जो 17 फरवरी 1998 में पूर्ण हुआ. नेपाल की तर्ज पर यहां भी मुख्य मंदिर का निर्माण कराया गया है. इसके साथ ही भगवान गणेश और हनुमान मंदिर भी परिसर में है. प्रदेशभर से नेपाली समाज के अलावा बड़ी संख्या में भगवान शिव के भक्त मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं.

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