दिल्ली. अगर कोई आपसे कहे कि देश में कुछ गांव ऐसे हैं जिनमें राष्ट्रपति तक की एंट्री बैन है तो आपको अचरज होगा. यकीन मानिए ये बिल्कुल सच है. देश के 34 गांवों के लोगों ने अपना संविधान और अपना शासन चला रखा है. इनकी मर्जी के मुताबिक डीएम, सीएम तो छोड़िए राष्ट्रपति तक इंट्री नहीं कर सकते.
झारखंड के तीन दर्जन गांवों की ग्रामसभाओं ने देश के कानून और संविधान को ठेंगा दिखाते हुए अपना खुद का कानून और संविधान बना रखा है. इन गांवों की सीमा में बिना ग्रामसभा की इजाजत के कोई भी इंट्री नहीं कर सकता. खास बात ये है कि देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल, जिलाधिकारी, एसपी कोई भी प्रवेश नहीं कर सकता है इन गांवों में.
इन गांवों की ग्रामसभाओं ने अपने-अपने गांवों की सीमा पर बैरिकेडिंग कर रखी है. स्थानीय बोली में इसे पत्थलगड़ी कहते हैं. पत्थलगड़ी मतलब हर ग्रामसभा अपने अपने ग्रामसभा की सीमा पर पत्थर गाड़कर गांव की सीमा तय करता है. इतना ही नहीं इन पत्थरों पर बकायदा इन गांवों का संविधान लिखा गया है. जो देश के किसी संविधान को नहीं मानता है.
झारखंड की राजधानी रांची से सिर्फ कुपछ ही दूर पर ये गांव मौजूद हैं लेकिन किसी की हिम्मत नहीं है कि इन गांव के लोगों के आदेश की कोई अधिकारी या सरकार पलट सके. रांची के पास स्थित चार जिलों गोड्डा, पाकुड़, लोहारदगा और पलामू के इन गांवों के प्रवेश द्वार पर गांव के निवासी मचान बनाकर हर आने-जाने वाले पर निगरानी रखते हैं. अगर कोई बाहरी आदमी इन गांवों में घुस आता है तो उन ग्रामसभाओं द्वारा उसे दंड दिया जाता है. अगर इन गांवों में कोई आपकी जान-पहचान का नहीं है तो इन गांवों में आप घुस तक नहीं सकते. स्थानीय अधिकारी और प्रशासन तक इन गांवों में प्रवेश नहीं करते हैं.