कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। ग्वालियर के ‘अचलेश्वर महादेव मंदिर’ ( Achaleshwar Mahadev) में भी महाशिवरात्रि ( mahashivratri) की धूम है। 300 साल प्राचीन अचलेश्वर महादेव मंदिर में स्थापित शिवलिंग को हटाने के लिए सिंधिया राजवंश से लेकर अंग्रेजों तक ने जोर-आजमाइश की लेकिन शिवलिंग को कोई हिला तक नहीं पाया। यही वजह है कि इस शिवलिंग को अचलनाथ या अचलेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। अचलनाथ के दरबार में आने वाले भक्तों की मन्नत पूरी होती है। यही वजह है कि महाशिवरात्रि पर लाखों भक्त अचलेश्वर के दरबार में दर्शन और पूजा अर्चना करने आते हैं।
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ग्वालियर के लश्कर इलाके में स्थित भगवान अचलेश्वर महादेव का मंदिर सैंकड़ों साल पुराना ये मंदिर अपने गौरवशाली इतिहास समेटे हुए हैं।अचलेश्वर महादेव में भक्तों काफी गहरी आस्था है। सुबह चार बजे अचलेश्वर महादेव के पट खुल जाते हैं। फिर जलाभिषेक के साथ पूजन होता है। प्रात: आरती के साथ ही भक्तों के दर्शन का सिलसिला शुरू हो जाता है। अचलेश्वर महादेव को बाबा अचलनाथ महादेव भी कहते हैं।
साधारण शिवलिंग से अचलेश्वर महादेव बनने की कहानी
मंदिर के इस नाम के पीछे इसकी गौरवशाली कहानी है। प्राचीनकाल में सिंधिया राजवंश ( Scindia dynasty) के लोगों ने ग्वालियर पर आधिपत्य जमाया। राजकाज चलाने के लिए सिंधिया राजाओं ने महाराजबाड़ा बनवाया था। इसके साथ ही किले के नीचे जयविलास महल बनाया था। महाराजबाड़ा से जयविलास महल तक जाने वाले रास्ते में पेड़ के नीचे शिवजी का मंदिर था। सिंधिया राजा ने इस मंदिर को रास्ते से हटाने के लिए कहा। जब राजा ने शिवलिंग को हटाने की कोशिश की तो ये शिवलिंग हिला तक नहीं। बाद इसे खोदने की कोशिश हुई लेकिन गहराई तक शिवलिंग निकलता चला गया। आखिर में राजा ने हाथियों से रस्सी बांधकर शिवलिंग को उखाडना चाहा, लेकिन हाथियों ने भी जोर लगा लगा कर जबाव दे दिया। इसके बाद राजा को सपना आया, जिसमें शिवजी ने प्रकट होकर कहा कि मैं अचल हूं यहां से मुझे हटाने की कोशिश मत करो। दूसरे दिन राजा ने कारीगर बुलवाए और फिर रास्ते पर स्थित इस मंदिर को भव्य बनवाया। तब से इस मंदिर को ‘अचलेश्वर महादेव’ मंदिर के नाम से जाना जाता है।
श्रावण मास में लगा रहता है भक्तों का तांता
सैंकड़ों साल पुराने अचलेश्वर महादेव आज भक्तों की आस्था का केंद्र बन गया है। श्रावण मास में तो यहां भक्तों का तांता लगता है,महाशिवरात्रि पर अचलेश्वर महादेव मंदिर में विशेष आयोजन होते हैं। अचलेश्वर महादेव के मंदिर पर लोग जल, दूध, दही से अभिषेक करते हैं। वहीं बेल-पत्र, धतूरा के साथ अचलेश्वर महादेव की पूजन करते हैं। दूर-दूर से आने वाले भक्त अचलेश्वर महादेव से मन्नत मांगते है, और मन्नत पूरी होने पर अचलनाथ बाबा के दरबार में पूजन-अर्चन करने आते हैं। भक्तों का कहना है कि अचलेश्वर महादेव के दरबार में उनकी मन्नतें पूरी होती है।
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