ज्योतिष के अनुसार, अगर कोई भी कार्य शुभ योग-संयोग देखकर किया जाए तो सफलता निश्चित रूप से मिलती है. शुभ कार्य संपन्न करने या मंगल कार्य को बिना किसी बाधा के करने के लिए सिद्धि योग एवं शुभ मुहुर्त देख कर ही किए जाने चाहिए. शास्त्रों में कहा गया है कि जिस तरह हिमालय का हिम सूर्य के उगने पर गल जाता है और सैकडों हाथियों के समूहों को अकेला सिंह भगा देता है, उसी तरह से शुभ योग भी सभी अशुभ योगों को भगा देता है, अर्थात इस योग में सभी शुभ कार्य निर्विघ्न रूप से पूर्ण होते हैं.

शुभ योग को अभीष्ट सिद्धी प्राप्त होने के कारण सभी प्रकार से शुभ फलकारी माना जाता है और इस प्रकार के योग में किया गया कार्य अनिष्ट की आंशका को नष्ट करके शुभ फल प्रदान करता है. यह संयोग खरीदी एवं कोई भी शुभ कार्य की शुरुआत के लिए सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त माने जाते हैं. अतः कोई भी कार्य करने से पूर्व शुभयोग देखना जरूरी होता है. कुछ योग स्वयंभू सिद्ध होते हैं. जिसमें पुष्य नक्षत्र, अक्षय तृतीया इत्यादि. इस प्रकार के मुहूर्त में कोई भी कार्य अक्षय पुण्य तथा लाभ की प्राप्ति का कारक होता है. कल अक्षय तृतीया में कोई कार्य या खरीदी का शुभ मुहूर्त हैं.

अतः छोटे से बड़े सभी प्रकार के कार्य इस शुभ समय पर किए जा सकते हैं. इसके अलावा रोज अभिजित मुहूर्त में शुभ कार्य का समय निर्धारित होता है. अगर कोई कार्य करना अति आवश्यक हो और शुभ मुर्हूत ना हो तो विद्धान से उस मुहूर्त की शुद्धिकरण करा लेना चाहिए. प्रत्येक जातक के ग्रहों एवं गोचर के अनुसार उसके लिए उसकी कुंडली के अनुसार शुभ समय और नक्षत्र का ज्ञान करने के लिए कुंडली का विश्लेषण और उसके अनुसार समय और उपाय जानना चाहिए.