मदकू द्वीप शिवनाथ नदी के दो भागों में बंटने से बने इस द्वीप की ख्याति इसलिए भी है कि ऋषि मांडूक्य ने इसी स्थल पर विराजित होकर मंडुकोपनिषद की रचना की थी. यह द्वीप राजधानी रायपुर से करीब 80 किमी दूर मुंगेली जिले में स्थित है. हर साल 6 फरवरी से 12 फरवरी तक यहां ईसाई मेला लगता है, जो एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है. मेले के दौरान छत्तीसगढ़ और देश के अन्य हिस्सों के ईसाई यहां कैंपों में रहते हैं और पूजा के लिए मुख्य पंडाल में इकट्ठा होकर प्रार्थना करते हैं.

ऋषि मांडूक्य की वजह से मिला यह नाम

मदकू द्वीप का नाम धार्मिक एवं पवित्र ग्रन्थ मंडुकोपनिषद के रचियता ऋषि माण्डूक्य के नाम से पड़ा. ग्रंथो में उल्लेख मिलता है कि शिवनाथ नदी के यहां से ईशान कोण दिशा में बहने के कारण, ऋषि ने इसी पवित्र जगह पर बैठकर उपनिषद की रचना की। यहां रचना करते हुए ऋषि की एक बेहद सुंदर मूर्ति भी स्थापित की गई है.

इन शिलालेखों से मिलती है जानकारी

शोधकर्ताओं के अनुसार इस द्वीप का निर्माण प्रागैतिहासिक काल में हुआ. यहाँ खुदाई में 10वीं और 11वीं शताब्दी में निर्मित बहुत से मंदिर मिले हैं जिनमें धूमेश्वर महादेव मंदिर, श्री राम केवट मंदिर, श्री राधा कृष्ण, लक्ष्मी नारायण मंदिर, श्री गणेश और श्री हनुमान को समर्पित ऐतिहासिक मंदिर भी हैं. यहां कुल छह शिव मंदिर और ग्यारह स्पार्तलिंग मंदिर हैं. अध्येताओं के अनुसार रतनपुर के कलचुरी राजा यहां बलि और अन्य अनुष्ठान करते थे. मदकू द्वीप पर दो प्राचीन शिलालेख मिले हैं. तीसरी सदी का एक शिलालेख ब्राम्ही शिलालेख है. और दूसरा शिलालेख शंखलिपि में है. साथ ही प्रागैतिहासिक काल के लघु पाषाण शिल्प भी उपलब्ध हैं.

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