किसी ना किसी चीज से डर सबको लगता है, मगर जब ये सामान्य से ज्यादा हो जाए तो इस पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है. फोबिया एक ऐसी बीमारी है, जो डर और भय के साथ जुड़ी होती है. जब डर जरूरत से ज्यादा बढ़ जाए तो वह मानसिक विकार का रूप ले लेता है.

फोबिया किसी विशिष्ट वस्तु या स्थिति से संबंधित नकारात्मक अनुभव या पैनिक अटैक के परिणामस्वरूप विकसित होते हैं. फोबिया के चलते अपने रिश्तों, सामाजिक जीवन और दफ्तर में भी बहुत दिक्कत आने लगती हैं.

खतरनाक है फोबिया

जब यह गंभीर रूप से ज्यादा बढ़ जाता है तो इंसान अपनी जान भी दे सकता है, और सामने वाले की ले भी सकता है. इसका लक्षण व्यवहार में तो दिखाई देता है, लेकिन सामने से देखने में यानी व्यक्तित्व में यह लक्षण नहीं दिखता है, इसलिए इसको गंभीरता से लेना चाहिए.

ये लक्षण होने पर डॉक्टर को बताए

फोबिया के लक्षण महसूस होने पर महत्वपूर्ण कदम उठाएं, चिकित्सक से परामर्श लें और सही उपचार कराएं. किसी भी डर यानी फोबिया का कारण और लक्षण होते हैं, और इससे बचाव के लिए इलाज भी होता हैं. फोबिया को आप दो भागों में बांट सकते हैं. स्पेस्फिक फोबिया और सोशल फोबिया. जिन्हें फोबिया का दौरा पड़ता है, ऐसे लोगों में तनाव, बेचैनी, पसीने आना, परिस्थिति या लोगों से दूर भागना, सिर में भारीपन, कानों में अलग-अलग आवाजें सुनाई देना, दिल की धड़कन बढ़ जाना, सांस तेज होना, डायरिया, चक्कर आना, शरीर में कहीं भी दर्द महसूस.

फोबिया का उपचार

फोबिया के इलाज के लिए कोई एक खास ट्रीटमेंट नहीं होता है. हर मरीज का फोबिया और उसकी स्थिति अलग-अलग होती है. फोबिया के इलाज के लिए मनोवैज्ञानिक थेरेपी और मेडिकेशन्स दोनों बेहद जरूरी हैं. इसके लिए अच्छा इलाज माना जाता है. कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी जिसे आम भाषा में टॉक थेरेपी भी कहा जाता है.