जितेन्द्र सिन्हा, गरियाबंद. जिला मुख्यालय सहित समूचा अंचल इन दिनों भीषण गर्मी के चपेट में है. चिलचिलाती गर्मी की वजह से जहां घरों में बैठे लोग परेशान हैं. वहीं कुछ ऐसे लोग भी है जिनके पेट की आग के सामने तपती गर्मी भी छोटी है. गरियाबंद में जूते बेचने वाले मोची हो या सब्जी विक्रेता धूप की मार झेल रहे हैं. ऐसे में गर्मी को देखते हुए भावेश ने मानवता की मिसाल पेश करते हुए गर्मी से राहत दिलाने छतरी और प्याऊ की व्यवस्था कर दी. जिससे हर जगह सराहना हो रही है.
बता दें कि, गरियाबंद में बाजार खुले आसमान के नीचे लगाया जा रहा है. 45 डिग्री की तपती गर्मी में भी मोचियों के पास एक छतरी के नीचे बैठने के अलावा और कोई दूसरा सहारा नहीं है. मेन रोड पर मोची का काम कर रहे मोची चाचा बताते हैं कि सुबह 9 बजे से वो जूते चप्पल लेकर घर से निकलते है और रोड पर ही अपना दुकान लगाते हैं. मेन रोड में कहीं शेड या छांव नहीं होने की वजह से सुबह से ही गर्मी पड़ने लगती है और धूप में ऐसे ही उन्हें जूते बेचने के साथ पॉलिस करने के लिए बैठना पड़ता है.
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आगे मोची चाचा का कहना है कि, ना तो उनके पास दुकान है और ना ही वे आर्थिक रूप से इतने मजबूत है कि वे किराए से दुकान ले कर अपना जीवन यापन करे रोड में बैठने के आलावा उनके पास और कोई रास्ता नहीं है. पेट की आग बुझानी है तो ये गर्मी झेलनी ही होगी. ऐसे में रोड में बैठना और गर्मी सहन करना बर्दाशत से परे है और ऐसे वक्त में भावेश भाई ने रोड में ही हमें धूप से बचने के लिए बड़ी छतरी लगा दी जो मेरे लिए बेहद कारगार साबित हो रहा है. मैं दिल से उनका धन्यवाद करता हूं कि वो हम जैसे छोटे दुकानदारों की पीड़ा समझकर हमें धूप से बचाने के लिए छतरी लगा रहे हैं.
कोई भी व्यपारी बड़ा छोटा नहीं होता
भावेश सिन्हा कहते है मुझे अच्छा लगता है की मैं किसी के काम आ सकूं. मैं जब भी मेन रोड से गुजरता था तो जूते बेचने वाले मोची चाचा पर हमेस मेरी नजर पड़ती थी और मैं यही सोचता था जब हम एसी और कूलर में गर्मी का सामना नहीं कर पा रहे हैं. उस स्थिति में ये बेचारे कैसे अपना जीवन यापन कर रहे हैं और इसीलिए मुझसे जो हो सका वो मैंने किया.
आगे भावेश ने कहा कि, मैंने मोची चाचा के लिए छतरी लगा दी और उनके चेहरे पर मुस्कान देख कर मुझे बहुत खुशी हुई है. मैं सभी व्यापारी भाइयों से निवेदन करता हूं कि, आप सभी जिससे जितना हो सके अपने से छोटे व्यापारियों का मदद कर उनका सहारा बने. साथ ही यह भी कहा कि, तेज गर्मी है इसे देखते हुए बाहर से आए ग्रामीणों के लिए पानी की व्यवस्था करें. अगर हम पांच-पांच दुकानदार एक साथ मिलकर प्याऊ लगा दें, तो पूरे जिले मुख्यालय में बाहर से आए किसी भी व्यक्ति को पानी के लिए भटकना नहीं पड़ेगा.
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