सत्यपाल सिंह/वैभव बेमेतरिहा। छत्तीसगढ़ के संस्कृति विभाग के मंत्री भले ही ठेठ छत्तीसगढ़िया नेता ही रहे. फिर चाहे वह दयालदास हो, अजय चंद्राकर हो या फिर वर्तमान मंत्री ताम्रध्वज साहू. असल में यहाँ मंत्रियों की कम अधिकारियों की ज्यादा चलती रही है. क्योंकि संस्कृति विभाग के हाथों सबसे ज्यादा कोई छले गए तो वो प्रदेश के प्रतिभावान लोक कलाकार, स्थानीय कलाकार, छत्तीसगढ़िया कलाकार. यही वजह है कि छत्तीसगढ़ का संस्कृति विभाग अक्सर विवादों में रहा, छत्तीसगढ़िया कलाकारों के निशानों पर रहा. इसका प्रमाणित तौर खुलासा भी हम यहाँ पर कर रहे हैं. हम आपको बता रहे हैं कि किस तरह से संस्कृति विभाग अधिकारियों की पत्नियों और बेटियों के साथ बाहरी कलाकारों पर मेहरबान रहा और कैसे स्थानीय कलाकारों को सालों बाद भी भुगतान नहीं हो रहा है. अब तो बकायदा एक बैनर भी ऑफिस में मौजूदा संचालक अनिल साहू ने भुगतान को लेकर एक टंगवा दिया है.
सबसे पहले आप इस बैनर को देखिए…इस पर जो लिखा है उसे पढ़िए….इस बैनर में लिखा है कि लंबित भुगतान को लेकर कलाकार परेशान न करे. संचालक अनिल साहू ने इस तरह का साफ निर्देश जारी कर एक तरह से स्थानीय कलाकारों को चेतावनी दे दी है.
अब जरा सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त इन दस्तावेजों में इन नामों को देखिए….ये नाम है यास्मिन सिंह, पूर्णश्री राउत और अंकिता राउत के. यास्मिन सिंह के पति अमन सिंह हैं तो पूर्णश्री राउत के पति एम.के राउत. अमन सिंह और एम.के राउत दो ऐसे अधिकारी रहे हैं जिनकी तूती पूर्व सरकार में खूब बोलती रही है. यही वजह है कि संस्कृति विभाग पूर्व अधिकारियों के इन पत्नियों और बेटी पर खुलकर मेहरबान नजर आई. ये और बात है कि संस्कृति विभाग उनता ही उपेक्षा छत्तीसगढ़िया कलाकारों की है.
lalluram.com के पास मौजूद आरटीआई से मिले दस्तावेज यह साफ बताते हैं कि किस तरह से अधिकारियों की मनमानी छत्तीसगढ़ में होने वाले सांस्कृतिक समारोह में चलती रही है. यहाँ पर आज हम आपको सिर्फ चक्रधर समारोह का आंकड़ा दिखाने जा रहे हैं. आप एक समारोह से ही समझ लीजिए कि असल में छत्तीसगढ़िया कलाकार कैसे अधिकारियों के हाथों छले जाते रहे हैं, ठगे जाते रहे हैं.
सबसे 2016 में हुए 32वाँ चक्रधर समारोह का दस्तावेज देखिए…
इस समारोह में –
एम. के राउत और पूर्णश्री राउत की बेटी अंकिता राउत ने ओड़िसी नृत्य की प्रस्तुति दी. इन्हें भुगतान हुआ 1 लाख 50 हजार रुपये.
वहीं अमन सिंह की पत्नी यास्मिन सिंह ने कत्थक नृत्य की प्रस्तुति दी. इन्हें भुगतान हुआ 1 लाख 68 हजार रुपये.
वहीं मुंबई की सूफी गायिका ऋचा शर्मा ने अपनी प्रस्तुति दी. इन्हें भुगतान किया 11 लाख 80 हजार रुपये.
इस समारोह में कुल 22 कार्यक्रम हुए लेकिन लोक रंग पर आधारित छत्तीसगढ़ी पर सिर्फ 1 कार्यक्रम हुआ.
छत्तीसगढ़ी में प्रस्तुति दी पद्मश्री ममता चंद्राकर ने. इन्हें भुगतान किया गया 1 लाख 10 हजार रुपये.
इसी तरह 2017 में हुए 33वाँ चक्रधर समारोह के दस्तावेज देखिए
फिर एक बार अमन सिंह की पत्नी यास्मिन सिंह ने कत्थक नृत्य की प्रस्तुति दी. इन्हें भुगतान हुआ 1 लाख 50 हजार रुपये.
वहीं एम.के. राउत की पत्नी पूर्णश्री ने ओड़िसी नृत्य की प्रस्तुति दी. इन्हें भुगतान किया गया 2 लाख रुपये.
जबकि मुंबई की कलाकार रेखा भारद्धाज ने गायन की प्रस्तुति दी. इन्हें भुगतान किया गया 12 लाख 87 हजार 6 सौ 47 रुपये.
वहीं इस समारोह में कुल 39 कार्यक्रम हुए. लेकिन छत्तीसगढ़ी पर आधारित कार्यक्रम हुए बीते साल की तरह सिर्फ 1.
छत्तीसगढ़ी में लोकरंग की प्रस्तुति दी कविता वासनिक. इन्हें भुगतान किया गया 1 लाख रुपये.
अब 2018 में हुए 34वाँ चक्रधर समारोह के दस्तावेज देखिए
एक बार फिर एम.के. राउत की बेटी अंकिता राउत कत्थक की प्रस्तुति दी. और इस बार इन्हें भुगतान किया गया 1 लाख रुपये.
लुधियाना के कलाकार अख्तर ब्रदर्स ने सूफी गायन की प्रस्तुति दी. इन्हें भुगतान किया गया 5 लाख 50 हजार रुपये.
इस समारोह में कुल 53 कार्यक्रम हुए. इसमें छत्तीसगढ़ी पर आधारित 2 कार्यक्रम हुए.
छत्तीसगढ़ी पर आधारित 2 कार्यक्रम में एक लोकरंग अर्जूंदा का. इन्हें भुगतान किया गया 1 लाख 50 हजार.
वहीं शेखर गिरी ने पंथी पर नृत्य की प्रस्तुति दी. लेकिन इन्हें 1 रुपये तक का भुगतान नहीं किया गया.
वैसे सिर्फ शेखर गिरी नहीं बल्कि 8 ऐसे कलाकार थे जिन्हें एक रुपये का भुगतान नहीं किया गया.
पूर्णश्री शिक्षक विभाग छोड़कर संस्कृति विभाग में अटैच
वैसे आपको यहाँ यह भी बता दे कि एम.के. राउत की पत्नी पूर्णश्री राउत शिक्षक हैं. लेकिन वो स्कूल में पढ़ाना छोड़कर बीते कई सालों से संस्कृति विभाग के मलाईदार पद में पदस्त हैं. दबी जुबान से विभाग के अधिकारी बताते हैं कि वे कभी-कभी ही ऑफिस आती हैं. मतलब साफ है कि संस्कृति विभाग पर अमन सिंह और एम.के. राउत की तूती बोलती रही है. वैसे यहाँ यह भी बता देना लाजिमी होगा कि भूपेश सरकार बनने के बाद पूर्णश्री राउत की ओर से आयोजित कार्यक्रम को लेकर जमकर विवाद हुआ था. बाद में इस मामले में गाज संचालकर और संस्कृति विभाग के सचिव के ऊपर गिरी थी.
लेकिन इन सबके बीच सवाल एक बार फिर से संस्कृति विभाग के संचालन को लेकर है क्योंकि नए संचालक अनिल साहू अब संस्कृति विभाग को किस तरह चलाएंगे उसका एक गैर जिम्मेदराना रूप भी देख लीजिए. संचालक इस मसले पर जवाब नहीं देना चाहते हैं. उन्होंने अपने कार्यालय में मीडिया कैमरे को बैन कर दिया है. मतलब वह अपने हिसाब से सिस्टम को चलाना चाहते हैं.
क्या संस्कृति विभाग को ठीक कर पाएंगे मंत्री ताम्रध्वज साहू ?
तो देख लीजिए संस्कृति मंत्री ताम्रध्वज साहू जी. किस तरह से आपके संस्कृति विभाग ने अभी तक छत्तीसगढ़ियों को छलने, उन्हें ठगने और परेशान करने का काम किया है. अधिकारियों की मनमानी के शिकार छत्तीसगढ़िया कलाकार किस तरह होतें हैं. इसका तो महज यह एक उदाहरण है. अब भी आपने कदम कड़े नहीं उठाए तो इसी तरह आगे भी संस्कृति विभाग में यह मनमानी चलती रहेगी. आप सिर्फ नाम के मंत्री रहेंगे और चलाते इसे अधिकारी अपने हिसाब ही रहेंगे.