हेमंत शर्मा, रायपुर। जरा सोचिए कि कैश भरी कोई गाड़ी सामने हो तो क्या होगा ?…जाहिर है कुछ देर के लिए कोई भी हो चकरा ही जाएगा. चकराना क्या विवाद भी हो सकता है. हुआ भी तो यही. ट्रैफिक पुलिस के सिपाही कुछ देर के लिए चकरा भी गए और फिर वाहन चालक से विवाद भी हो गया. विवाद भी चौक पर खत्म हो जाए ऐसा नहीं, बल्कि बात थाने तक पहुँच गई.

दरअसल पूरी कहानी क्या है वह इस घटनाक्रम से समझिए. घटनाक्रम बिल्कुल आंखों देखीं बता रहे हैं. lalluram.com की टीम कवरेज से लौट रही थी. तभी हमारी नजर लोधीपारा चौक पर ट्रैफिक पुलिस के साथ एक वाहन चालक के साथ हो रही बहस पर पड़ी. हमें पहले तो लगा कि रोज की तरह यह सिग्नल विवाद हो सकता है जैसे कि अमूमन होता है. कुछ देर के सोचने के बाद लगा कि छोड़िए ऑफिस के लिए निकल जाया जाए. लेकिन जैसे आगे बढ़ने वाले थे कि नजर एक सफेद मारुती वैन पर पड़ी. पुलिस वाले उस वैन की चलान काट रहे थे और वाहन चालक बैंक की गाड़ी होने की बात कह रहा था. माजरा कुछ अलग नजर आने लगा. हमने सोचा की आखिर हो क्या रहा जरा करीब जाकर देखा जाए.

हम अपनी गाड़ी से उतरकर कैश वैन की ओर आगे बढ़े. उस वैन की ओर जहां पर ट्रैफिक पुलिस और वाहन चालक के बीच जमकर बहस चल रही थी. इस बहस में वैन के साथ वाले कुछ अन्य लोग भी थे.
हमारी टीम को अपनी ओर आते देख बहस जरा कमजोर पड़ी. पुलिस और चालक दोनों ही पहले तो थोड़ा अचरच जान पड़े. फिर हमने पूछा कि आखिरी माजरा है क्या कि जो इतना महौल गर्म हो गया है. पूछना क्या था…हमने देख भी लिए और समझ में भी आ गया कि कहानी कैश को लेकर थी. उस कैश को जो कि बैंक से बैंक के लिए जा रही थी.

जी हां हुआ ये था कि पंजाब नेशनल बैंक की 22 लाख कैश से भरी मारुती वैन को ट्रैफिक पुलिस ने लोधीपारा चौक के पास रोक दिया था. वैन में इतने सारे कैश होने के कारण पुलिस को कुछ संदिग्ध लगा.  हालांकि ट्रैफिक पुलिस को भी पता नहीं था कि वैन में कैश है. वैन को तो पुलिस ने इसलिए रोक लिया था क्योंकि वह गलत दिशा से आगे बढ़ रही थी. शायद लोधीपारा चौक ट्रैफिक पुलिसकर्मी ईमानदार था. लिहाजा उन्होंने ट्रैफिक नियम तोड़कर आगे बढ़ने वाली गाड़ी नागवार लगी. इसलिए सिपाही ने सख्ती के साथ वैन को रोक लिया.

बस फिर क्या था नियमतः तो ट्रैफिक जवान ने अपना काम सही किया, लेकिन यही बात कैश वैन चालक को बुरी लग गई. बुरी इसलिए क्योंकि वह नेशनल बैंक वैन चालक था. बैंक से लाखों रुपये लेकर वह बैंक जा रहा था. इसी बात को लेकर दोनों के बीच जमकर कहासुनी हो गई. बात इतनी बढ़ गई कि मामला चौक से आगे बढ़कर थाने तक जा पहुँची. और फिर थाने से वापस चौक आ गई. कैश वैन चालक ने ट्रैफिक जवान पर आरोप लगाते हुए कहा कि, गाड़ी की कागजात ठीक होने के बावजूद भी उसे रोका गया और उससे 2000 की मांग की गयी. लेकिन उन्होंने पैसे देने से इंकार किया तो गाड़ी को 2 घंटे तक रोककर रखा गया और उससे कागजात छीनकर मारपीट की गई. वह शंकर नगर से कैश लेकर वो गुढ़ियारी एटीएम में कैश डालने जा रहे थे.

दूसरी ओर मारपीट के आरोपों से घिरे ट्रैफिक जवान का कहना था कि गाड़ी रॉग साइड से आ रही थी. उन्होंने चालान काटने की कोई बात नहीं की थी, बल्कि वैन चालक ने खुद उससे गाली-गलौज की. इस घटनाक्रम का वीडियो फुटेज उसके पास है. ये और बात थी कि जवान ने हमें वो वीडियो फुटेज नहीं दिखाया जिसकी बात वे कर रहे थे. उसने कहा कि इस मामले की जानकारी उन्होंने ट्रैफिक टीआई को तुरंत दे दी थी.

जैसे-तैसे 2 घंटे बाद दोनों के बीच विवाद खत्म हुआ तो कैश वैन गुढ़ियारी की ओर आगे बढ़ गई. लेकिन इस घटना ने कुछ सवाल छोड़ दिए. सवाल यह कि कैश वैन साधारण मारुती की गाड़ी में क्यों ले जाया रहा था? सवाल ये कि चालान के नाम पर 2 घंटे तक कैश वाहन को भीड़-भाड़ वाले चौराहे में बिना सुरक्षा क्यों रोका गया? सवाल ये भी कि राजधानी में दिन-दहाड़े हो रही लूट की घटनाओं के बाद भी कोई सबक बैंक के साथ पुलिस क्यों नहीं ले रही ? क्योंकि इस दौरान अगर कोई घटना हो जाती तो इसका जिम्मेदार कौन-कौन होता ? सोचिए….!