रायपुर। छत्तीसगढ़ बंद से पहले एक बेहद ही चौकाने वाली खबर आई है। खबर ये है कि आज देर शाम सरकार की अनुमति के बाद जिला प्रशासन की से शिक्षाकर्मी नेताओं से मुलाकत की इजाजत दी गई। खास बात ये की मुलाकत की इजाजत शिक्षाकर्मी संघ के संचालक वीरेंद्र दुबे और केदार जैन के परिवार को नहीं और उनके अधिवक्ता को दी गई। बल्कि इजाजत दी गई शिक्षाकर्मी संघ के एक प्रतिनिधि मंडल को।
लल्लूराम डॉट कॉम के संघ के एक नेता ने कहा कि मुलाकात करने वाले में नहीं लेकिन 5 सदस्य शामिल रहे हैं। हालांकि उन्होंने बातचीत का खुलासा नहीं किया।
वहीं अधिवक्ता एनडी मानिकपुरी ने कहा कि सुबह में दुबे और जैन के परिजन जेल पहुँचे थे लेकिन जेल प्रशासन ने सरकार की अनुमति नहीं होने कब चलते मिलने नहीं दिया यहाँ तक उन्हें भी उनके क्लाइंड से भी मिलने नहीं दिया गया।
वैसे सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सरकार की ओर से यह खबर संघ के नेताओं तक पहुँचाई गई है कि वे अपना हड़ताल वापस ले तो सरकार बातचीत उनकी मांगों को लेकर बातचीत कर सकती है। लेकिन अगर हड़ताल पर बने रहेंगे तो सभी नेताओं को बर्खास्त किया जाएगा। सबके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। खबर ये भी है कि अगर कल भी आंदोलन किया गया उन्हें राजनीतिक दल का भी माना जा सकता है। वैसे इस बीच शिक्षकर्मियों की ओर ये भी संदेश सोशल मीडिया की ओर से दिया जा रहा कि वे बंद के समर्थन में नहीं है।