रायपुर। शिक्षाकर्मियों के मुद्दे पर रविवार को वृंदावन हॉल रायपुर में वरिष्ठ पत्रकार हिमांशु द्विवेदी ने ऐसा भाषण दिया जिसे सुनकर छत्तीसगढ़ सरकार की नींद उड़ जाएगी. शिक्षाकर्मियों की ओर आयोजित परिचर्चा में बेबाकी से बोलते हुए वरिष्ठ पत्रकार द्विवेदी ने सरकार की नीतियों की कलाइयां खोल दी. शिक्षाकर्मियो की तमाम मांगों को जायत बताते हुए कहा, कि आज शिक्षाकर्मियों की स्थिति ये बना दी गई है कि वे किसी चपरासी से भी गए गुजरे हो गए हैं.

हिमांशु द्विवेदी ने राज सत्ता को परिषाति करने के एक राजा, एक गुरू और एक शिष्य की कहानी बताई. जिसमें बताया गया कि राज धर्म क्या होता है और उसका पालन कैसे होना चाहिए. प्रदेश के भीतर आज गुरुओ के मान-सम्मान के साथ मजाक हो रहा, खिलवाड़ हो रहा है. उन्होंने इस पर भी हैरानी जताई कि संविलियन क्यों नहीं हो रहा, जबकि ये शिक्षा और शिक्षक का अधिकार है. मध्यप्रदेश के भीतर शिवराज सिंह चौहान ने संविलियन करके कोई एहसान नहीं किया, उन्होंने आगामी विधानसभा चुनाव में पराजय के चलते ये घोषणा की है.

मतलब शिक्षाकर्मी जब चाहे तब सरकार को खतरे में डाल दे. ऐसी स्थिति यहाँ भी हो सकती है. सरकार से शिक्षाकर्मी को खैरात नहीं मांग रहे हैं और न ही सरकार उन कोई एहसान संविलियन करके करेगी.  जब बोनस देने के लिए सरकार विशेष सत्र बुलाकर विधेयक ला सकती तो फिर संविलियन को लेकर क्यों नहीं ? मैं ये कहता है कि एक देश एक चुनाव की बात करने वाले पहले एक राष्ट्र, एक शिक्षक और एक समान वेतन की बात करे.

देखिए हिमांशु द्विवेदी  का सियासत को गरमा देने वाला ये भाषण-
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