रायपुर- ईओडब्ल्यू ने डीजी मुकेश गुप्ता एवं एस.पी. रजनेश सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. EOW ने धारा 166, 166 A,(B) 167, 193, 194, 196, 201, 218, 466, 467, 471, 120B तथा भारतीय टेलिग्राफ़ एक्ट 25, 26 सहपठित धारा 5 (2) के तहत मामला पंजीबद्ध किया गया है.
गुप्ता एवं सिंह पर नान घोटाले मामले में गलत ढंग से जांच करने के साथ-साथ अवैध फोन टेपिंग कराए जाने का आरोप लगाया गया है. इधर मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने के बाद भूपेश सरकार उन्हें निलंबित कर सकती है.
सूत्र बताते हैं कि मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह पर यह आरोप लगाया गया है कि नान घोटाले की जांच के दौरान मिले डायरी के कुछ पन्नों के इर्द-गिर्द ही जांच केंद्रीत रखी गई! जबकि डायरी के कई पन्नों में प्रभावशाली लोगों के नाम लिखे गए थे, जिन्हें जांच के दायरे में नहीं लाया गया! ऐसी स्थिति में यह संदेश पैदा करता है कि जांच को प्रभावित करने के साथ प्रभावशाली लोगों को बचाने के लिए जांच गलत ढंग से कई गई!
इधर रमन सरकार में इंटेलिजेंस चीफ रहने के दौरान मुकेश गुप्ता और तत्कालीन एसीबी के एसपी रजनेश सिंह पर अवैध तरीके से फोन टैपिंग कराए जाने की भी शिकायत सामने आई है, जिसे एफआईआर का आधार बनाया गया है. बता दें कि विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने लगातार रमन सरकार पर फोन टेपिंग कराने का आरोप लगाते आई है. कांग्रेस के विपक्ष में रहने के दौरान प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए भूपेश बघेल ने प्रेस कांफ्रेंस कर यह आरोप लगाया था कि राजनीतिक दुर्भावनावश और निजी स्वार्थों को साधने के लिए रमन सरकार विरोधियों के फोन टैप करवा रही है. तब अपने आरोप में उन्होंने कहा था कि फोन टेपिंग की साजिश राज्य में लंबे समय से चल रही है. यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन है. उन्होंने यह भी कहा था कि माओवाद पर नियंत्रण के नाम पर फोन टैप करने वाली महंगी मशीने खरीदी गई है. आरोप है कि इनका उपयोग अपराधियों की बजाए राजनीतिक विरोधियों पर जासूसी के लिए किया जा रहा है. विपक्षी नेताओं के साथ-साथ मंत्रियों और अधिकारियों के एवं कई बड़े उद्योगपतियों के फोन भी टेप किए जाने की शिकायत हुई है!