हेमंत शर्मा, इंदौर। उत्तर प्रदेश के ज्ञानवापी विवाद के बाद इंदौर के जूना गणेश मंदिर में भी औरंगजेब द्वारा हमला किए जाने का मामला सामने आया है। दरअसल इंदौर के चंद्रभागा स्थित जूना गणेश मंदिर में इस बात का प्रमाण एक गणेश जी की मूर्ति खुद है। जिसे आंशिक रूप से औरंगजेब द्वारा छति तो पहुंचाई गई। लेकिन यहां पुजारियों का दावा है। कि छोटी मूर्ति को क्षति पहुंचाने के बाद फिर गणेश जी के चमत्कार दिखाने के कारण औरंगजेब मंदिर के द्वार से ही लौट गया। जिसके प्रमाण आज भी मौजूद हैं।
दरअसल यहां मंदिर की सेवा करने वाले मनोहर लाल पाठक बताते हैं। कि मंदिर की पूजा-पाठ और सेवा करते हुए उनके परिवार की कई पीढ़ियां गुजर गई और एक मौका ऐसा भी आया जब इंदौर के परमार कालीन जूना गणेश मंदिर की ख्याति औरंगजेब को लगी तो वह दिल्ली और आगरा के रास्ते मंदिर को ध्वस्त करने के लिए इंदौर आया था। औरंगजेब जूनी इंदौर के चंद्रभागा इलाके में पहुंचा जहां यह प्राचीन मंदिर मौजूद था। परमार कालीन काले पत्थरों से बना यह मंदिर आज भी अपने दिव्य रूप में मौजूद है। औरंगजेब ने जब यहां मंदिर की मूर्ति तोड़ना चाही तो मंदिर के पुजारी एवं अन्य श्रद्धालु द्वार पर ताला लगा कर चले गए।
औरंगजेब ने अपने सैनिकों के बल पर मंदिर के द्वार के ताले तोड़े इसी दौरान द्वार पर लगी एक प्राचीन गणेश जी की मूर्ति को भी तोड़ना चाहा लेकिन वह मूर्ति नहीं टूट पाई। उस मूर्ति का नीचे का हिस्सा टूटा इसके बाद ओरंगजेब मंदिर का द्वार खोलने में सफल तो हुआ। लेकिन उसी दौरान कोई ऐसी दुर्घटना घटी की औरंगजेब मंदिर के द्वार से लौट गया। यही वजह है कि देश और मध्य प्रदेश के विभिन्न मंदिरों में औरंगजेब के विध्वंस के प्रमाण मिलते हैं। लेकिन इंदौर का यह मंदिर आज भी अपने शिल्प के भव्य रूप में मौजूद है। जिसमें एक मूर्ति की क्षति के अलावा औरंगजेब के विध्वंस के कोई प्रमाण नहीं मिलते, माना जाता है कि भगवान गणेश का यह मंदिर काफी दिव्य है।
जहां श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूर्ण होती है। इतना ही नहीं इस मंदिर की ख्याति देश और दुनिया में है। यही वजह है कि दुनिया भर से लोग यहां चिट्ठी भेज कर मन्नत मांगते हैं। और उनकी मन्नत पूरी होती है। अब जबकि ऐसे दौर में जब कि उत्तर प्रदेश के ज्ञानवापी का मामला सुर्खियों में है तो यहां के पुजारी परिवार के लोग आज भी औरंगजेब द्वारा विध्वंस किए गए मंदिर के हिस्से को लेकर पुराने दिनों की याद करते हैं। हालांकि ओरंगजेब इंदौर के दिव्य मंदिर का बाल भी बांका नहीं कर सका यही यहां मौजूद गणेश प्रतिमा की महिमा है। जो आज भी इंदौर समेत देश और दुनिया के लिए अगाध आस्था का केंद्र बनी हुई है.
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