सत्या राजपूत, रायपुर. छत्तीसगढ़ के शिक्षा विभाग में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है, जहां फर्जी दस्तावेजों के जरिए कई जिलों में कर्मचारियों की नियुक्ति हो गई और इसकी भनक शिक्षा विभाग को सालोसाल तक नहीं लगी. लेकिन झूठ कब तक दबा रहता, आखिरकार सच उजागर हो ही गई. लल्लूराम डॉट कॉम को मामले से जुड़ी एक शिकायत मिली. शिकायतों पर जब हमने पड़ताल की तो फर्जी नियुक्ति का भंडाफोड़ हुआ.

दरअसल ये पूरा मामला शिक्षा आयोग की ओर से शिक्षा आयोग सचिव के नाम पर जारी एक फर्जी पत्र से जुड़ा हुआ है, जिसमें आयोग के सचिव ओपी मिश्रा के नाम से जिला शिक्षा कार्यालयों को कर्मचारियों के नाम से नियुक्ति पत्र के आदेश जारी हुए और बकायदा जिला शिक्षा विभाग की ओर से जिलों में पदस्थ भी कर दिया गया. वहीं खास बात यह है कि आयोग की स्थापना 2017 में हुई, लेकिन फर्जी लेटर में 2016 का राजपत्र दिखाया गया.

क्या है शिक्षा आयोग के पत्र की हकीकत?

छत्तीसगढ़ राज्य शिक्षा आयोग के पत्र के मुताबिक 9 सितंबर 2021 का एक कूटरचित नियुक्ति आदेश घूम रहा था, जिसमें आयोग के सचिव ओपी मिश्रा के नाम का इस्तेमाल किया गया, लेकिन हकीकत ये है कि आयोग ने उस तारीख को कोई पत्र जारी ही नहीं किया था. आयोग का असली पत्र 28 अक्टूबर 2021 को जारी हुआ था. आयोग की स्थापना 2017 में हुई, लेकिन फर्जी लेटर में 2016 का राजपत्र दिखाया गया. लल्लूराम डॉट कॉम की पड़ताल में भर्ती की अनुमति, व्यापम परीक्षा सब झूठ निकला है.

किस जिले में कौन से पद पर हुई फर्जी नियुक्ति

राजनांदगांव, मोहला-मानपुर, खैरागढ़ जिले में 3 डाटा एंट्री ऑपरेटर और 6 सहायक ग्रेड-3 की फर्जी नियुक्ति हुई है. ये कर्मचारी जॉइनिंग लेकर 2021 से सैलरी ले रहे हैं. जिला शिक्षा अधिकारी ने दस्तावेजों की जांच किए बिना उन्हें पदस्थ कर दिया. अब बड़ा सवाल यह है कि 38 महीने से इन लोगों की सैलरी कहां से आ रही है? जबकि आयोग का कोई सेटअप ही नहीं है, सिर्फ प्रतिनियुक्ति पर 4-5 लोग चलाते हैं.

कब से कर रहे नौकरी?

शिक्षा विभाग में कुछ लोगों की नियुक्ति फर्जी कागजातों के जरिए हुई है. ये लोग छत्तीसगढ़ राज्य शिक्षा आयोग के नाम पर 2021 से ही जॉब कर रहे हैं, लेकिन आयोग ने साफ कह दिया है कि हमने कोई भर्ती ही नहीं की है. बावजूद शिक्षा सचिव इस मामले को दबाए बैठे हैं.

शिकायकर्ताओं ने क्या कहा?

अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संघ के सुख राम साहू और डेमोक्रेटिक खदान श्रमिक संघ के मोती लाल हिरवानी ने RTI से फर्जी आदेश की कॉपी मांगी. इस पर सचिव ओपी मिश्रा ने स्कूल शिक्षा विभाग को चिट्ठी भेजी. सारी कूटरचनाओं की शिकायत पर कार्रवाई की बात कही. पैरेंट्स एसोसिएशन के किष्टोफर पॉल ने भी ज्ञापन देकर मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर FIR दर्ज करने की मांग की है. एसोसिएशन का कहना है कि तत्कालीन DEO और अभी के स्टाफ पर शक है, क्योंकि वो ही फर्जीवाड़ा के मास्टरमाइंड हो सकते हैं.

स्कूल शिक्षा मंत्री गजेंद्र यादव ने क्या कहा?

इस मामले में स्कूल शिक्षा मंत्री गजेंद्र यादव ने कहा है कि आपके माध्यम से फर्जी नियुक्ति की जानकारी मिल रही है. भरोसा रखिए, मामले की जांच कराई जाएगी और दोषियों पर कार्रवाई भी की जाएगी. बता दें कि इस मामले में कार्रवाई के लिए शिक्षा सचिव को आयोग ने पहले ही पत्र लिखा था, फिर भी अब तक कोई एक्शन नहीं लिया गया. अब मंत्री ने कार्रवाई का आश्वासन दिया है.

लल्लूराम डॉट कॉम की पड़ताल से साफ है कि फर्जी दस्तावेजों का खेल जारी है. सुनियोजित ढंग से इस भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है. अगर ऐसा ही फर्जीवाड़ा चलता रहा तो शिक्षा व्यवस्था कैसे चलेगी. यह मामला छत्तीसगढ़ की शिक्षा प्रणाली में व्याप्त भ्रष्टाचार का आईना है.