भोपाल। छत्तीसगढ़ के 89 परिवार भोपाल में फंस गए हैं। इसकी जानकारी भोपाल के सामाजिक कार्यकर्ता रुस्तम सिंह ने अपने फेसबुक पेज पर दी है। उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट पर बताया है कि पुराने भोपाल में डीआईजी बंगले के पर छत्तीसगढ़ के कुछ मज़दूर बहुत बुरी स्थिति में हैं। वे कई दिन से सिर्फ आटा खा रहे हैं। उनके पास राशन नहीं है। इसके बाद उन्होंने राशन भिजवाया.
अगले पोस्ट में रुस्तम ने बताया कि करीब 89 परिवार ऐसे हैं जो जिनकी लिस्ट उन्होंने बनाई है। और छत्तीसगढ़ के सी सुनील के ज़रिए सरकार के सम्पर्क में हैं। उन्होंने कहा कि ये लिस्ट उन्होंने सी सुनील के माध्यम से सरकार को भिजवा दी है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार इनके खाने पीने का इंतज़ाम कराएगी.
इस बीच लल्लूराम डॉट कॉम ने इनके द्वारा मुहैया कराए लिस्ट से भोपाल में अलग अलग जगह रह रहे लोगों से बात की। छत्तीसगढ़ के 6 लोग मिरसोद रोड में रूखमणी कॉलेज के पास वीडिया सलैया में फंसे हुए हैं। ये सभी बिलासपुर के सुरेश के परिवार वाले हैं। सुरेश के बेटे मुकेश ने बताया कि खाने की काफी दिक्कत है। लॉकडाउन से 5 दिन पहले ये लोग यहां आए थे। मुकेश का कहना है कि उनके पास अनाज नहीं था तो कटाई के बाद बचे गेंहू बीनकर लाये और उससे कुछ दिन अपना पेट भरा। वे एक निर्माणाधीन मकान जिसे वे मल्टी बोलते हैं, वहां रह रहे हैं। मुकेश का कहना है कि उनके पास खाने को कुछ नहीं बचा है। केवल आज के लिए आटा है कल से वे सभी भूखे रहना पड़ेगा। अब तक कोई सरकारी मदद नहीं पहुची है.
इसी तरह सनयां गांव के पास मुंगेली के 5 लोग फंसे हैं। इसमें दो महिलाएं हैं। इन मज़दूरो में से एक अरुण से हमने बात की। उन्होंने बताया कि काम करने वे लोग 4 महीने पहलें गये थे। कॉलोनी में रहने लोग खाना दे दे रहे है। सरकार की ओर से राशन नहीं मिल पा रहा है। पैसे भी नहीं बचे हैं। अभी किसी तरीके से साधन खोज रहे हैं। वापिस जाना चाहते हैं। स्थानीय लोगों राशन दे रहे हैं.
भोपाल के पीसी नगर में बिलासपुर, मुंगेली, बेमेतरा और रायपुर के 75 परिवार फंसे हैं। इतवारी कुमार बंजारे ने बताया कि यहां वे सभी 7 महीने से मजदूरी करने आये थे। लॉक डाउन फंसे हैं। जो कमाया है, उसी में चला रहे हैं। किसी ने अब तक कोई मदद नहीं की। सरकार ने कोई मदद नहीं की। उन्होने बताया कि छत्तीसगढ़ के लोग बसमेरिया, मिनी नगर, सोनागिरी, लालघाटी में कई मज़दूर फंसे हैं। पीसी नगर में ही फंसी गीता साहू अपने 4 बच्चों के साथ है। उसके घर मे अनाज खत्म हो चुका है। वे सरकार से मदद की गुजार लगा रही हैं.