यत्नेश सेन, देपालपुर(इंदौर)। मध्यप्रदेश के इंदौर से 55 किलोमीटर दूर गौतमपुरा में दीपावली के दूसरे दिन धूप पड़वा पर एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है। जहां कलंगी व तुर्रा दो दल के योद्धाओं के बीच हिंगोट युद्ध होगा। अग्निबाण बरसेंगे जिसके साक्षी करीब 15 से 20 हजार लोग होते हैं। यह युद्ध लड़ाई नही बल्कि परंपरा की दृष्टि से भी देखा जाता है जिसमें आपसी भाईचारे से यह युद्ध रूपी परंपरा निभाई जाती है, जिसमें न किसी की हार और न ही किसी की जीत होती है।

न कोई आयोजक न प्रायोजक

इस आयोजन की खूबी यह है कि इसका न कोई आयोजक होता है न प्रायोजक। फिर भी प्रशासन यहां पूरी व्यवस्था करता है जिसमें करीब 2सौ से ज्यादा पुलिस बल, तीन से चार एम्बुलेंस, करीब 50 से ज्यादा स्वास्थ विभाग के कर्मचारी डॉक्टर, फायर ब्रिगेड की गाड़ियां, नगरीय प्रसाशन के अधिकारी कर्मचारी मौजूद रहते हैं।

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हिंगोट युद्ध की तैयारी अंतिम चरणों में

हिंगोट युद्ध को लेकर तैयारी अंतिम चरणों में है। लोग हिंगोट बनाने में जुटे हुए हैं जहां युद्ध में जाने वाले योध्दा जंगल से हिंगोनिया नाम के पेड़ से फल तोड़कर लाते है फिर इनको छीलते और सुराख कर अंदर से गुदा निकालते है। ये फल ऊपर से कठोर व अंदर से मुलायम होता है। इसको सुखाने के बाद बारूद भरते है। बड़े सुराख पर पीली मिट्टी से डाट लगाते है व दूसरे छोर पर गंधक लगाते है फिर हिंगोट पर तीर नुमा लकड़ी बांधते है जो निशाने को बेधती है।

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100 फिट की दूरी के बीच दोनों दल उतरेंगे

योद्धा के एक हाथ में ढाल कंधे पर हिंगोट से भरा झोला व जलती लकड़ी के साथ मैदान में 100 फिट की दूरी के बीच दोनों दल के 40 से ज्यादा योद्धा उतरते है। युद्ध करीब डेढ़ घंटे तक चलता है। युद्ध देखने देश प्रदेश के कोने कोने के साथ ही इंदौर, उज्जैन, धार, देवास, महू, बड़नगर सहित आसपास गांव से हजारों लोग आते है। कई लोग घायल भी होते है। इस युद्ध के लिए योद्धा व युद्ध मैदान पर नगरीय प्रशासन तैयारी शुरू कर दी है। युद्ध मैदान में बेरिकेडिंग के साथ ही जालियां और बैठक व्यवस्था बनाई जाती है।

दिवाली के दूसरे दिन होगा आयोजन

दीपावली के दूसरे दिन धूप पड़वा पर होने वाले परंपरागत युद्ध को देखने जनप्रतिनिधि भी पहुंचते हैं। जहां युद्ध होता है वहां मेला भी लगता है। कलंगी व तुर्रा दल के योद्धाओं को ढाल को घर पर तिलक लगाकर व आरती उतारकर युद्ध के मैदान में पूरा दल ढोल ढमाके के साथ निकलता है व युद्ध के मैदान के पास स्थित देवनारायण मन्दिर पर दर्शन कर युद्ध के मैदान में जाते है।

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हिंगोट बना रहे योद्धाओं के साथ यत्नेश सेन

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