रायपुर. जिन उपार्जन केंद्रों में किसानों से सन 2020-21 में खरीदे गए धान का पूरी तरह निराकरण हो चुका है, वहां करीब 50 हज़ार टन धान की शॉर्टेज हुई है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में अभी तक 1255 उपार्जन केंद्रों से किसान से खरीदे गए धान का पूरी तरह निराकरण हो चुका है.
शॉर्टेज में जो नुकसान हुआ उसके बदले किसानों को करीब 125 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है. अगर इसमें संग्रहण व्यय जोड़ दें तो इससे करीब 150 करोड़ का नुकसान हुआ है. ये नुकसान धान खरीदी करने वाली सहकारी संस्थाओं को उठाना होगा. ये छत्तीसगढ़ राज्य में अब तक सर्वाधिक शॉर्टेज का आंकड़ा है. हालांकि 1156 केंद्रों के धान का निराकरण शेष है. इससे शॉर्टेज की मात्रा अभी काफी बढ़ेगी.
प्रदेश में कुल 2311 उपार्जन केंद्र हैं. जहां करीब 90 लाख मीट्रिक टन धान की खऱीदी हुई थी. राज्य सरकार के आंकड़े के मुताबिक सबसे ज़्यादा शॉर्टेज बलौदाबाज़ार में है. यहां 119 केंद्रों में करीब 6129 टन धान शॉर्ट हुआ है. बिलासपुर के 121 केंद्रों में 5332 टन, धमतरी के 89 केंद्रों में 5213 टन और बालोद के 90 केंद्रों में 4519 टन धान की कमी आई है. कृषिमंत्री रविंद्र चौबे के गृह जिले बेमेतरा के मात्र 45 उपार्जन केंद्रों में 2454 टन धान की शॉर्टेज आई है.
राज्य सरकार के पोर्टल में जो आंकडे़ दिखाए गए हैं, उसके मुताबिक ये साफ नहीं है कि इसमें सूखत कितनी है और दूसरे नुकसान कितने हैं. लेकिन दोनों ही स्थितियों में सोसाइटियों को ही इस पूरे नुकसान को वहन करना होगा. क्योंकि राज्य सरकार द्वारा उपार्जन केंद्रों में सूखत के ज़ीरो शॉर्टेज की व्यवस्था है.
खाद्यमंत्री अमरजीत भगत धान सड़ने के तमाम आरोपों को खारिज करते रहे हैं. सड़ने की मात्रा पर उनका कहना था कि इसकी जानकारी पूरी तरह निराकरण होने के बाद मिलेगी.