सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर। प्रदेश के गरीब बच्चों का इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ने का सपना साकार होने जा रहा है. शिक्षा विभाग आगामी सत्र से सभी जिलों की दो-दो सरकारी स्कूल को इंग्लिश मीडियम बनाने जा रहा है. इसके लिए अप्रैल में एक हजार इच्छुक शिक्षकों और बच्चों को अंग्रेजी सिखाने के लिए शिक्षा विभाग युध्दस्तर पर तैयारी कर रहा है.
लल्लूराम डॉट कॉम से शिक्षा मंत्री प्रेम साय सिंह टेकाम ने खास बातचीत में बताया कि शिक्षा विभाग आगामी सत्र से राज्य के सभी जिलों के दो-दो सरकारी स्कूलों को अंग्रेजी मीडियम स्कूल बनाया जाएगा, जहां पहली से लेकर बारहवीं तक की पढ़ाई होगी. अगर ऐसे अध्यापक जिनको अंग्रेजी माध्यम विद्यालय का जिम्मा सौंपा जाएगा, अगर वही अच्छे से अंग्रेजी नहीं बोल पाएंगे तो वह बच्चों को कैसे अच्छी अंग्रेजी बोलना सिखा पाएंगे.
मंत्री ने बताया परीक्षा के खत्म होने के बाद छुट्टियों के दौरान इन अध्यापकों को स्पोकन इंग्लिश सिखाएंगे. एक हजार शिक्षकों और इच्छुक विद्यार्थियों का समूह बना कर उनको इंग्लिश बोलना सिखाई जाएगी. कार्यशाला के माध्यम से अंग्रेजी बोलने की झिझक को खत्म करने के लिए किया जा रहा है, जिससे चयनित स्कूलों में सारा काम अंग्रेजी में हो. इसके लिए रणनीति बना ली गई है, ट्रेनर भी तैयार हैं.
उन्होंने कहा कि बच्चों में प्रश्न पूछने की प्रवृत्ति का विकास करना, उनकी प्रतिभाओं को निखारना, इन सब में एक शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी. शिक्षक ऐसे बच्चों को आगे लाए जो प्रश्न पूछ सकते हैं. सवाल से ही जानकारी मिलती है, ज्ञान में वृद्धि होती है, मन उठे डाउट क्लियर होंगे. शिक्षा मंत्री ने कहा कि इन स्कूलों का वातावरण ऐसा बनाया जाएगा कि प्राइवेट स्कूल के बच्चे भी वहां पढ़ाई करने आएंगे,
मंत्री टेकाम ने स्थानीय भाषा बोली में पढ़ाई को लेकर कहा कि स्थानीय भाषा बोली की पढ़ाई का अपना एक महत्व है, बस्तर में कई तरह बोली बातचीत का माध्यम है, तो वहां के बच्चे अचानक हिंदी को नहीं समझ सकते, इसलिए स्थानीय भाषा को महत्व दिया जा रहा है. वहीं अंग्रेजी मीडियम को लेकर कहा कि इसका भी अपना महत्व है, हायर एजुकेशन अंग्रेजी में हो रहा है. बारहवीं के बाद अचानक अंग्रेजी की पढ़ाई बोझ होता है, इसलिए प्रयोग के तौर पहले चरण में दो-दो स्कूल को चुना गया है, आगे फिर स्कूलों की संख्या बढ़ाई जाएगी.