विनोद दुबे, रायपुर। अगर आप छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में रहते हैं तो सतर्क हो जाएं,  शहर में खुलेआम खुंखार अपराधी घूम रहे हैं. वह भी एक-दो या तीन नहीं बल्कि उनकी तदाद हजारों में हैं. यही वजह है कि राजधानी आए दिन गोलीकांड, लूट, हत्या जैसे अपराधों से दहलते रहती है. ऐसा भी नहीं है कि पुलिस को इन अपराधियों की कोई जानकारी ही नहीं है, राजधानी पुलिस के पास इन अपराधियों की बकायदा पूरी कुंडली मौजूद है. बावजूद इसके कि इन्हें सलाखों के पीछे डाल दिया जाए, ये आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं.

पिछले कुछ सालों में राजधानी में हत्या, अपहरण, फिरौती, लूट जैसे मामलों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. व्यापारी से लेकर आम आदमी तक खौफ में जी रहा है कि कब कहां कौन सी वारदात हो जाए.

लोगों के मन से भय निकालने और राजधानी को अपराधमुक्त करने के लिए रायपुर पुलिस ने एक बड़ा एक्शन प्लान तैयार किया है. यह प्लान तैयार किया है जिले के लॉ एंड आर्डर की कमान संभालने वाले नए पुलिस कप्तान अमरेश मिश्रा ने. अमरेश मिश्रा ने धूल खाती अपराधियों की उन कुंडलियों को बाहर निकलवा लिया है जिसमें अपराधियों के कारनामे दर्ज हैं.

फाइल

7 हजार अपराधियों की तलाश

जिले की कमान संभालने के बाद अमरेश मिश्रा ने पुलिस के सभी आला अधिकारियों और थाना प्रभारियों की बैठक लेकर उन्हें साफ लफ्ज़ों में ऐसे सभी अपराधों की फाइल निकालने के लिए कह दिया था जिनके वारंट की राजधानी पुलिस ने तामीली ही नहीं की. आपको जानकर आश्चर्य होगा, आप चौंक भी जाएंगे कि 7000 (सात हजार) लोग फरार हैं याने कि वे खुलेआम घूम रहे हैं. जिनके खिलाफ न्यायालय ने वारंट जारी किया था. जिन्हें पुलिस की तलाश है.  पुलिस कप्तान ने इन सभी को जेल की हवा खिलाने के सख्त निर्देश दे दिए हैं.

जिन 7 हजार आरोपियों की पुलिस को तलाश है उनमें कई बड़े खूंखार अपराधी हैं, कई बलात्कारी, कई लुटेरे और कई डकैत और चोर-उचक्के भी शामिल हैं. 4 हजार इस वक्त रायपुर में मौजूद हैं.  इसके अलावा 1500 राज्य के अलग-अलग जिलों में घूम रहे हैं. तकरीबन इतने ही लोग दूसरे राज्यों में जा कर गायब हो गए हैं. अब पुलिस के लिए इन्हें ढूंढ निकालने किसी बड़ी चुनौति से कम नहीं है.

40 साल पुराने मामले पेंडिंग

राजधानी पुलिस की कार्यशैली का आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि शहर में 35 से 40 साल पुराने वारंटी मौजूद हैं. स्पष्ट शब्दों में कहा जाए तो इतने साल पहले इनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ था. लेकिन पुलिस इसकी तामीली करा पाने में नाकाम रही थी और समय बीतने के साथ न सिर्फ इन फाइलों में धूल जम गई बल्कि जिले की कमान संभालने वाले किसी भी कप्तान ने कार्रवाई करने में जरा भी रुचि नहीं दिखाई. शायद यही वजह है कि 1980 और उससे पहले के भी प्रकरण पेंडिंग हैं.

कईयों की हो गई मौत

कप्तान के आदेश के बाद फाइलों से जब पुलिस के अधिकारियों और कर्मचारियों ने जमी धूल हटाना शुरु किया तो खुद उनकी आँखें भी उस वक्त फटी की फटी रह गई जब 40 साल और उससे ज्यादा समय से फरार वारंटियों के समन्स नजर आए. जिनके खिलाफ न्यायालय में पेश नहीं होने की वजह से गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इनमें से कई की मौत तक हो चुकी है और कईयों के चेहरे में झुर्रियां पड़ गई है. जिले में तकरीबन ऐसे 800 फरार वारंटी हैं जिनकी मौत हो चुकी है. शायद ये आंकड़ा और भी बढ़ सकता है. खुद पुलिस के आला अधिकारियों ने लल्लूराम डॉट कॉम को इसकी पुष्टि की है.

कई वीआईपी भी जा सकते हैं जेल

सूत्रों के मुताबिक उन 7 हजार आरोपियों में कई वीआईपी और कई वीवीआईपी लोग भी शामिल हैं जिनके खिलाफ वारंट लंबित पड़ा है. अब कप्तान के आदेश के बाद आला अधिकारियों और थाना प्रभारियों के हाथ कांपने शुरु हो गए हैं कि इनके खिलाफ कार्रवाई करें भी तो कैसे, और नहीं करेंगे तो कप्तान के कोप का भाजन बनना पड़ जाएगा. आपको बता दें अमरेश मिश्रा अपनी इस कार्यशैली के लिए जाने भी जाते हैं और विभाग में उनकी छवि सबसे ईमानदार और दबंग अधिकारी की है. कहा तो यह भी जाता है कि उनके सामने कोई सिफारिश भी काम नहीं आती चाहे वह किसी मंत्री की भी क्यों न हो. ऐसे में उन अधिकारियों के हाथ-पांव फूलना लाजमी है जो कि बड़े दरबारों में हाजिरी लगा कर ही दिन की शुरुआत करते हैं.

बनाई स्पेशल टीम

अमरेश मिश्रा के निर्देश के बाद हर थानों में एक स्पेशल टीम बनाई गई है. जो कि अब धर-पकड़ शुरु करने जा रही है. ये टीम न सिर्फ जिले और राज्य के अन्य जिलों बल्कि यूपी, बिहार, सहित उन सभी राज्यों में जाकर वारंटियों को गिरफ्तार कर राजधानी लाएगी. इस काम में क्राइम ब्रांच की टीम को भी लगाया गया है जिनके जिम्मे बड़े और खूंखार अपराधी होंगे.