रायपुर। छत्तीसगढ़ में लोक पर्व छेर-छेरा पुन्नी का विशेष महत्व है. यह पर्व दान का महा पर्व कहलाता है. पूस की पूर्णिमा के दिन मनाए जाने वाले इस पर्व को छत्तीसगढ़ में बेहद धूम-धाम से मनाया जाता है. कृषि प्रधान छत्तीसगढ़ धान का कटोरा कहा जाता है. पूस की पूर्णिमा के आते-आते खेतों से किसान अपने धान को घरों में ले आते हैं. वे इसे कोठी में रखते हैं. किसान अपने खेतों से लाए हिस्से में कुछ हिस्सा पूस की पूर्मिमा के मौके पर दान कर इसे उत्सव के तौर पर मनाते हैं.
राजधानी रायपुर में भूपेश सरकार ने छेर-छेरा लोक-पर्व को एक महोत्सव के रूप में बदल दिया. प्रदेश भर में इस उत्सव को पहले की अपेक्षा और ज्यादा जोर-शोर से मनाया गया. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खुद इस मौके पर छेर-छेरा मांगने निकले. दूधाधारी मठ पारा में उन्होंने छेर-छेरा मांगकर लोगों से सरकार के सुपोषण अभियान में भागीदार बनने को कहा. इस मौके पर मुख्यमंत्री ने स्वराज एक्सप्रेस बचपन जिस गीत को गाते उस पारंपरिक गीत को गाया.
छेर-छेरा पर क्या कहा मुख्यमंत्री सुनिए…
https://www.youtube.com/watch?v=UDSqjDV5Y5I&feature=youtu.be