फीचर स्टोरी। छत्तीसगढ़ में महिलाएं लखपति बन रही हैं. गांवों में धन वर्षा हो रही है. गौठानों में महिलाएं मुर्गी पालन कर आत्मनिर्भर बन रही हैं. भूपेश सरकार की योजनाओं के तहत धनवान बन रही हैं. छत्तीसगढ़ शासन द्वारा गौठानों को स्वावलंबी बनाने के लिए सार्थक प्रयास किया जा रहा है. स्व सहायता समूह की महिलाओं को प्रशिक्षण देकर रोजगार से जोड़ा जा रहा है.

बाड़ी विकास और साग सब्जी का उत्पादन

गौठानों में मुर्गी पालन, बकरी पालन, मशरूम उत्पादन, बांस की टोकरी निर्माण, बटेर पालन, बाड़ी विकास, साग सब्जी का उत्पादन, राईस मिल संचालन सहित अन्य गतिविधियों में शामिल करके समूह की महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है.

महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रहीं

इसी कड़ी में पुश पालन विभाग के द्वारा भी स्व सहायता समूह के महिलाओं को सशक्त बानने के उद्देश्य से आर्थिक गतिविधियों में जोड़ने का कार्य निरंतर किया जा रहा है, ताकि महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सके.

अतिरिक्त आदमनी अर्जित करने के लिए प्रोत्साहित

पशुपालन विभाग द्वारा कृषकों, ग्रामीणों, विशेष पिछड़ी जनजाति परिवारों और समूह की महिलाओं को विभाग की योजना से लाभान्वित कर अतिरिक्त आदमनी अर्जित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.

आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन गए

इसी कड़ी में दुलदुला विकासखण्ड के ग्राम पंचायत कोरना में गंगा मैया स्व सहायता समूह की 14 महिलाएं मुर्गी पालन से अतिरिक्त आय अर्जित कर रहें एवं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन गए हैं.

विक्रय से 48 हजार रूपए की आमदनी

पशुपालन विभाग द्वारा समूह को 408 चूजे प्रदाय किए गए थे, जिसकी विक्रय से समूह की महिलाओं ने 35 हजार रूपए प्राप्त हुए. उसके पश्चात् महिलाओं ने की लागत से 180 नग देशी मुर्गी का पालन किया और तीन माह बाद उसके विक्रय से 48 हजार रूपए की आमदनी हुई.

1 लाख 36 हजार की कमाई

समूह की महिलाएं 300 नग बायलर मुर्गी के चूजों का पालन कर 45 दिनों में उसके विक्रय से 53 हजार रूपए का आमदनी अर्जित की हैं. इसी प्रकार कुल अब तक 1 लाख 36 हजार रूपए गंगा मैया स्व सहायता समूह की महिलाएं लाभ प्राप्त कर चुकी हैं. उत्साह के साथ घर के काम के साथ-साथ समूह से जुड़कर अन्य गतिविधियों में शामिल होकर अतिरिक्त आदमनी अर्जित परिवार का भी सहयोग कर रहें हैं.

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