रायपुर- गरियाबंद जिले में हिंदूवादी संगठनों की जानकारी जुटाए जाने संबंधी पुलिस अधीक्षक के एक पत्र ने राज्य की सियासत में जमकर हंगामा खड़ा कर दिया है. बीजेपी ने कांग्रेस सरकार पर सांप्रदायिक होने का आरोप लगाया है. इन तमाम आरोपों के बीच साल 2015 में जारी वह आदेश सामने आया है, जिसे जारी करते हुए इंटेलीजेंस ने सभी पुलिस अधीक्षकों से हिन्दूवादी संगठनों की जानकारी चाही थी. बता दें कि उस वक्त राज्य की सत्ता में बीजेपी काबिज थी. राज्य शासन के उच्चाधिकारी बताते हैं कि यह पुलिस इंटेलीजेंस की एक जनरल प्रैक्टिस का हिस्सा है. सरकार बदलने के बाद ही ऐसा नहीं किया गया, यह पहले की सरकारों में भी होता आया है.

इंटेलीजेंस चीफ स्पेशल डीजी संजय पिल्ले ने लल्लूराम डाट काम से हुई बातचीत में इस बात की पुष्टि की है. पिल्ले का कहना है कि पिछली सरकार के दौरान भी हिन्दूवादी संगठनों से की जानकारी जुटाए जाने के लिए राज्य के पुलिस अधीक्षकों को पत्र जारी किया गया था. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि यह पत्र कब-कब जारी किया गया. इस मुद्दे पर हमलावर बीजेपी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस संगठन के प्रभारी महामंत्री गिरीश देवांगन ने कहा कि-

यह एक रूटिन सरकारी काम है. जब-जब चुनाव आते हैं बीजेपी इस तरह के धार्मिक मुद्दे उठाकर उन्माद फैलाने की कोशिश करती है. पूर्व मुख्यमंत्री के पास अब कोई काम नहीं बचा है. अब इस तरह के ही बेतुके और आधारहीन आरोप पांच साल तक लगाते रहेंगे.

इधर बीजेपी के वरिष्ठ विधायक शिवरतन शर्मा ने पिछली सरकार में जारी पत्र के जवाब में कहा कि-

बीजेपी शासनकाल में ऐसा कोई आदेश जारी किया गया है, यह मेरी जानकारी में नहीं है. मैं आदेश देखकर ही बता पाउंगा.

साल 2015 में जारी हुआ आदेश

दरअसल बीजेपी युवा मोर्चा के राष्ट्रीय सचिव गौरव तिवारी ने ट्वीट के जरिए भूपेश सरकार पर हमला बोलते हुए यह पत्र जारी कर पूछा था कि क्या हिन्दू संगठनों की जानकारी लेकर पाकिस्तान को देनी है? या इसी बहाने छत्तीसगढ़ में कुछ नया खेल खेलने की तैयारी है. इस ट्वीट के बाद सियासत गर्मा गई. बीजेपी ने भूपेश सरकार पर हमला बोलते हुए आरोपों की झड़ी लगा दी. पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह ने हिन्दूवादी संगठनों की जानकारी जुटाए जाने संबंधी जारी किए पत्र पर सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि-सरकार नक्सली व आतंकवादी संगठनों की जानकारी एकत्र करने की बजाए हिन्दूवादी संगठनों के पीछे पड़ गई है. रमन ने यह भी पूछा था कि सरकार धर्मांतरण करने वालों के बारे में क्यों जानकारी नहीं लेती? बीजेपी विधायक शिवरतन शर्मा ने विधानसभा में इस मामले को उठाते हुए आरोप लगाया था कि सरकार प्रदेश में दंगे करवाना चाहती है. गरियाबंद में कुछ दिन पहले साम्प्रदायिक दंगे जैसी स्थिति थी, वहां धर्म के आधार पर केवल हिंदू संगठनों की जानकारी इकट्ठा करायी जा रही है. जिले के एसपी ने सभी थाना प्रभारियों से हिंदू संगठनों की सूची मांगी है, यह घोर आपत्तिजनक और संविधान की आत्मा के खिलाफ है. भाजपा प्रवक्ता एक कदम आगे आए. उन्होंने बदले की राजनीति की राजनीति करने के अपने आरोपों के बीच मुख्यमंत्री के पिता पर भी हमला बोला. साथ ही चेतावनी दी थी कि यदि यदि आदेश जारी करने वाले अधिकारी के विरूद्ध कार्रवाई नहीं होगी, तो जबरदस्त आंदोलन किया जाएगा.

छत्तीसगढ़ बीजेपी ने रविवार को अपने ट्वीटर हैंडलर पर भी इस मामले में सरकार को घेरने की कोशिश की. एक के बाद एक किए गए दो ट्वीट किए गए. पहले ट्वीट में लिखा कि-

इस ट्वीट को देखे भूपेश बघेल जी. अगर शासन के अधिकृत आदेश के बिना हिंदू संगठनों की जानकारी इकट्ठा की जा रही थी, तब तो और भी गंभीर मामला है. जिलों में एसपी ने सीएम के पिता के मौखिक आदेश पर तो यह कार्रवाई नहीं की थी?

बीजेपी ने अपने दूसरे ट्वीट में लिखा कि-

यह सवाल इसलिए है क्योंकि सीएम के रिश्तेदारों का दखल बढ़ने संबंधी खबरे मीडिया में आई हैं और सीनियर बघेल लगातार हिन्दू विरोधी कृत्य में सक्रिय हैं. क्या इस पर एसआईटी गठन करेंगे सर?