रायपुर। आखिर पत्थलगढ़ी के पीछे का सच क्या है ? इस आंदोलन के पीछे की कहानी है क्या ? इस आंदोलन से किसे फायदा और  किसे नुकसान है ? क्या इस आंदोलन को राजनीतिक रंग दिया गया ? क्या पत्थलगढ़ी जैसे आंदोलन की जरूरत आदिवासियों को है ? क्या पत्थलगढ़ी संविधान के खिलाफ है ? क्या सर्व आदिवासी समाज भी पत्थलगढ़ी आंदोलन पर बंटा हुआ है ? पत्थलगढ़ी में लिखी गई बातें क्या कानूनन सही है ? ऐसे कई सवालों के जवाब हमने जाने की कोशिश कि उस शख्स से जिनकी लिखी किताब ही पत्थलगढ़ी क्षेत्र में आदिवासियों के घर मिले. इस शख्स का नाम है बीके मनीष. बीके मनीष एक लेखक, सामाजिक कार्यकर्ता, संविधान के जानकार है. बीते 10 सालों से आदिवासी मुद्दों पर काम कर रहे हैं. उन पर कई तरह के आरोप लगते रहते हैं. लेकिन बीके मनीष ने पत्थलगढ़ी आंदोलन को असैंवधानिक तो नहीं कहा, लेकिन फिर भी उसे सीरे खारिज कर दिया. और क्या क्या कुछ कहा, आखिर कहां से हुई थी छत्तीसगढ़ में पत्थलगढ़ी की शुरुआत देखिए मनीष ने देखिए पत्थलगढ़ी आंदोलन के बाद पहला इंटरव्यू
बीके मनीष से खास-बातचीत
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